कांग्रेस की ओर से एसीबी तो बीजेपी की तरफ से ईडी राज्यसभा चुनाव में कर रही है भागीदारी

बाड़मेर से राजू चारण भौलिये री कृपा …

भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी डॉ सुभाष चन्द्र की स्थिति दिन प्रतिदिन कमजोर नजर आ रही है । हालांकि बीजेपी के बड़े नेता उनके जीत के लिए प्रयासरत तो दिखाई दे रहे है, लेकिन अंदर ही अंदर बड़ा खेल खेला जा रहा है । बीजेपी के चार विधायक निरन्तर कांग्रेस के संपर्क में है । इसके अलावा दो विधायकों से कांग्रेस के एक नेता द्वारा सम्पर्क साध कर मोटा आफर दिया गया है ।

हालांकि कांग्रेस खुद अभी आश्वस्त नही है कि तीसरा उम्मीदवार प्रमोद तिवारी जीत जाएगा । बावजूद इसके अशोक गहलोत जी-जान से तीनों प्रत्याशियों को जिताने के लिए युद्धस्तर पर सक्रिय होगये है । अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए है कि विधायकों के कार्य सम्बन्धी आदेश अविलम्ब जारी होने चाहिए । इसलिए सभी अफसर सक्रिय है । मुख्यमंत्री सचिवालय खास तौर पर चौकस और सक्रिय है ।

राज्यसभा चुनाव के परिणाम ही गहलोत का भविष्य तय करेंगे । 126 विधायक होने के बावजूद कांग्रेस का एक भी प्रत्याशी पराजित हो जाता है तो गहलोत की प्रतिष्ठा गिरना स्वाभाविक है । इसके अलावा गांधी परिवार में अब तक उनकी जो साख बनी हुई है, उसका धराशायी होना स्वाभाविक है । इन हालातों में उनकी कुर्सी खतरे में पड़ सकती है । अपनी साख और कुर्सी को बचाने के लिए विधायकों की हर मांग पूरी करने का न केवल भरोसा दिया है, बल्कि उनको तत्काल पूरा भी किया जा रहा है ।

बीजेपी भी गहलोत की राजनीतिक तन्त्र विद्या से वाकिफ है । इसलिए उसने भी अपने विधायकों को बाड़े में कैद कर लिया है । लेकिन छह ऐसे विधायक भी है जो पूरा देने के बाद भी कांग्रेस के संपर्क में है । उधर बीजेपी के नेता डॉ सुभाष चंद्रा के रवैये से खफा है । बकौल एक नेता के डॉ चन्द्रा बिना पैसो के राज्यसभा में जाने के ख्वाहिशमंद है । उनके हाथ से पैसा नही निकल रहा है जबकि विधायको की खरीद फरोख्त के लिए मीठी मीठी बाते नही, नोट के बोरे चाहिए ।

ज्ञात हुआ है कि बीजेपी नेताओं ने सुभाष चन्द्र से कह दिया कि बनियागिरी दिखाने से चुनाव नही जीता जा सकता है । बीजेपी के पास देने के लिए कुछ नही है अलावा नोट के । जबकि चन्द्रा की अंटी ढीली हो ही नही रही है । उम्मीद है कि आज रात से सुभाष चंद्रा को जिताने के लिए तेजी से प्रयास शुरू हो जाएंगे । चूंकि वसुंधरा राजे की वफादारी को संदिग्ध नजरों से देखा जा रहा है, इसलिए कमान उनके हाथ मे जा सकती है । गहलोत की तरह वे भी राजनीति की मंझी हुई खिलाड़ी है ।

उधर कांग्रेस की ओर से दर्ज शिकायत के बाद एसीबी सक्रिय हो गई है । कांग्रेस को अंदेशा है कि विधायकों को खरीदने के लिए नोट की खेप जयपुर आ सकती है । जबकि हकीकत यह है कि भारी मात्रा में अरबों रुपये जयपुर में आ भी चुके है और इनमें से कई करोड़ बांट भी दिए गए । जहां कांग्रेस की ओर से एसीबी सक्रिय है, वहीं बीजेपी की ओर से केंद्र की एजेंसी ईडी और इनकम टैक्स के साथ साथ एक ओर एजेंसी की टीम टोह लेने में जुटी हुई है ।

जिस तरह वसुंधरा को वफादारी के प्रमाणपत्र की दरकार है, ऐसी ही दरकार सचिन पायलट को भी है । सचिन जानते है कि कांग्रेस एक सीट हार गई तो इसका ठीकरा उनके सर पर फोड़ा जाएगा । इससे बचने के लिए वे उदयपुर में सक्रिय होने के पूरे मजमे से दूर रहकर अपनी अगली रणनीति को अंजाम दे रहे है ।

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