बरेली/फतेहगंज पश्चिमी। इन दिनों सहालग का दौर चल रहा लेकिन कोरोना कर्फ्यू के कारण बाजार बंद रहता है। ऐसे में गांवों से आने वाले जरूरतमंद ग्राहकों की दुकानदार प्रतीक्षा करते रहते हैं। सुबह पहुंचकर दुकान के ताले खोल देते हैं लेकिन शटर नही उठाते। ग्राहक के आने पर शटर उठाया और दुकान के अंदर से माल लाकर दे दिया। ग्राहक से मनमाने दाम वसूल लिए। कोरोना कर्फ्यू के दौर में फिलहाल चीजों के दामों को लेकर दुकानदार और ग्राहक के बीच होने वाला मोलभाव नहीं होता क्योंकि दुकानदार जो दाम बताएगा, उसी में खरीदना ग्राहक की मजबूरी है। वरना ग्राहक को खाली हाथ लौटना पड़ेगा। कोरोना कर्फ्यू के दौरान सुबह निर्धारित समय तक सिर्फ किराना, मेडिकल और फल सब्जी, खाद बीज की दुकानें खोलने के आदेश हैं लेकिन अन्य चीजों का कारोबार करने वाले ज्यादातर दुकानदार आसपास ही मौजूद रहते हैं। गांवों से कपड़ा, बर्तन तथा अन्य सामान खरीदने आने वालों से इन दिनों मनमाने दाम वसूले जा रहे। खरीद की कोई रसीद नहीं, सिर्फ एक पर्ची पर लिखकर हिसाब जोड़ देते, वह भी ग्राहकों को मिलती नहीं है। कस्वे में कपड़ा, रेडीमेड गारमेंट्स, बर्तन, कास्मेटिक, जूता-चप्पल, जनरल स्टोर, इलेक्ट्रानिक उत्पाद का कारोबार करने वाले अनेक व्यवसायी सुबह ही अपनी दुकानों पर पहुंच जाते है। जाते ही ताले खोल दिए लेकिन शटर नहीं उठाया। दुकान के बाहर ग्राहकों के इंतजार में बैठ गए। इसी दौरान गांवों से जरूरतमंद ग्राहक भी आने लगते है। ज्यादातर ग्राहक दुकानों के परिचित होते हैं। ग्राहकों के लिए दुकान से सामान निकालने से पहले दुकानदार पहले यह देखते हैं कि पुलिस या कोई अधिकारी तो उस ओर नही आ रहा। इसके बाद शटर उठाकर या घर गोदाम से सामान निकालकर ग्राहक के हवाले करते हैं। अगर ग्राहक दाम अधिक कहते हुए कम करने की बात करता है, तो उसे समझा दिया जाता है कि ऐसे दौर में सामान मिल पा रहा, यही गनीमत है। विभिन्न चीजों के दाम एक पर्ची पर जोड़ते हैं लेकिन वह भी ग्राहक को नहीं मिल पाती।।
बरेली से कपिल यादव