कवियों ने बांधा समा,रात भर बजी तांलिया

सीतापुर – ग्राम मोचकलां में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में स्थानीय कवियों से लेकर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचो पर ख्याति प्राप्त कवियों के काव्य पाठ पर श्रोता रात भर तालियां बजाते रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के पूजन एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि
संदीप सरस् के द्वारा की गई सरस्वती वंदना से प्रारंभ हुआ।
इसके बाद गीतों के सशक्त हस्ताक्षर मनोज मिश्रा के गीतों पर श्रोताओं ने जम तालियां बजायीं।देश में फैली बुराइयों पर प्रहार करती इकबाल बिस्वानी की कविता ने धूम मचा दी।स्थानीय नवोदित कवि धर्मेन्द्र त्रिपाठी की रचना , “कोई स्वछन्द रहकर के जमाने भर के दुःख झेले” खूब सराही गई।
जैसे जैसे ठण्ड बढ़ती गई कवियों के रचनाओं की गर्मी से श्रोताओं की तालियां बढ़ती गई।
सीतापुर से पधारे हास्य कवि तुषार मिश्रा एवं लखनऊ के हास्य कवि अनिल बाँके ने ठण्ड में भी श्रोताओं को लोट पोट कर दिया।
श्रंगार के प्रसिद्ध कवि भाई अरविन्द मधुप की रचना “बलिहारी है बलिहारी,…”ने एवं बाराबंकी से पधारे प्रख्यात कवि
“संजय साँवरा”की रचनाओं ने कार्यक्रम में उपस्थित वृद्ध जनो को भी जवानी का अहसास करा दिया।
इसके बाद बाद रामदास गुप्त”रत्न”तथा रामकुमार सूरत की किसानों की जीवनशैली पर आधारित रचनाओं ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया।
मूलतः पीलीभीत से पधारी स्वाती मिश्रा ,सीतापुर की शैलेन्द्री शैल तथा पूर्णिमा मिश्रा की रचनाओं ने कार्यक्रम को पुनः जिन्दादिल बना दिया।
बाराबंकी के हास्य व्यंग्य के प्रसिद्ध कवि संदीप अनुरागी ने
ठण्ड की आधी रात में भी खूब हँसाया।
राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि एवं संचालक कमलेश म्रदु एवं एवं दूरदर्शन के चर्चित कवि संदीप सरस् के काव्य पाठ ने श्रोताओं के साथ साथ कवियों को भी नई ऊर्जा एवं जोश प्रदान किया।
अन्त में आयोजक अनिल मिश्र”नेताजी”की तरफ से धन्यवाद ज्ञापित करके कार्यक्रम को प्रतिवर्ष आयोजित करने की घोषणा के साथ कार्यक्रम के समापन की घोषणा की गई।

रामकिशोर अवस्थी
सीतापुर ब्यूरो

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