कल से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र-विशेष शुभ योग-जाने घट स्थापना के लिए शुभ समय

हरिद्वार/रुड़की- चैत्र नवरात्र इस साल 6 अप्रैल शनिवार से शुरू हो रहे हैं। इस साल नवरात्र में कोई तिथि क्षय नहीं है। यानी इस बार चैत्र नवरात्र पूरे 9 दिन के ही रहेंगे। साथ ही इस साल नवरात्र में कई शुभ योग भी बन रहे हैं। इस साल चैत्र नवरात्र पर माँ दुर्गा6 अप्रैल 2019 शनिवार के दिन अश्व( घोड़े) पर सवार होकर आ रही हैं। इस शुभ संयोग के अलावा ज्योतिषीय नजरिए से देखा जाए तो नवरात्र में पुष्य योग, सर्वार्थसिद्धि और रवियोग भी बन रहे हैं। इस कारण ये 9 दिन बहुत ही खास रहेंगे।

नवरात्र में बनेगें अनेक शुभ योग

ज्योतिषाचार्य पं. रजनीश शास्त्री के अनुसार, 6 अप्रैल से शुरू होने वाले चैत्र नवरात्र में पांच सर्वार्थ सिद्धि, दो रवि योग और रवि पुष्य योग का संयोग बन रहा है।

ज्योतिषाचार्य पण्डित रजनीश शास्त्री।
श्रीमद् देवी भागवत व देवी ग्रंथों के अनुसार इस तरह के संयोग कम ही बनते हैं। इसलिए यह नवरात्र देवी साधकों के लिए खास रहेगी। नवरात्र का समापन 14 अप्रैल को होगा।
2 दिन मनाई जाएगी श्रीराम नवमी….

घट स्थापना 6 अप्रैल को प्रातः 06:09 मिनट से लेकर 10:19 मिनट के बीच करना बेहद शुभ रहेगा। श्रीराम नवमी स्मार्त मतानुसार 13 अप्रैल को रहेगी। इस दिन सुबह 11.48 बजे तक अष्टमी है और इसके बाद नवमी शुरू हो जाएगी। इस मत में मध्याह्न व्यापिनी नवमी को श्रीराम नवमी मानते हैं। जबकि वैष्णव मत में उदयकाल की तिथि मानी जाती है। 14 अप्रैल को सुबह 9.27 बजे तक नवमी होने से इस मत के लोग 14 अप्रैल को नवमी मनाएंगे।

किस दिन बनेगा कौन-सा शुभ योग..
7 अप्रैल- द्वितीया के साथ सर्वार्थ सिद्धि (शुभ)

8 अप्रैल- तृतीया के साथ रवि योग (कार्य सिद्धि)

9 अप्रैल- चतुर्थी के साथ सर्वार्थ सिद्धि (भूमि, भवन खरीदी)

10 अप्रैल- पंचमी के साथ सर्वार्थ सिद्धि (लक्ष्मी पंचमी)

11 अप्रैल- छठ के साथ रवि योग (संतान सुरक्षा)

12 अप्रैल- सप्तमी के साथ सर्वार्थ सिद्धि(नए संबंध चर्चा)

13 अप्रैल- अष्टमी पर कुलदेवी पूजन (स्मार्त मतानुसार नवमी)

14 अप्रैल- नवमी के साथ रवि पुष्य व सर्वार्थ सिद्धि (वैष्णव मतानुसार सुबह 9.37 तक नवमी)

नवरात्रि में किस दिन होगी किस देवी की पूजा

पहला नवरात्र – 6 अप्रैल शनिवार, घट स्थापन दिवस : मां शैलपुत्री पूजा, मां ब्रह्मचारिणी पूजा

दूसरा नवरात्र – 7 अप्रैल रविवार : मां चंद्रघंटा पूजा

तीसरा नवरात्र – 8 अप्रैल सोमवार : मां कुष्मांडा पूजा

चौथा नवरात्र – 9 अप्रैल मंगलवार : मां स्कंदमाता पूजा

पांचवां नवरात्र – 10 अप्रैल बुधवार : सरस्वती पूजा

छष्ठ नवरात्र – 11 अप्रैल वीरवार : मां कात्यायनी पूजा

सातवां नवरात्र – 12 अप्रैल शनिवार : मां कालरात्रि पूजा

नवमी – 14 अप्रैल रविवार : मां महागौरी पूजा, दुर्गा अष्टमी, महानवमी, राम नवमी
नौ देवियों के बीज मंत्र

चैत्र नवरात्रि नौ दिनों की होती है, जो मां दुर्गा को समर्पित होती है और प्रतिपदा से नवमी तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना और उपवास कर माता का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। ये रूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। इन सभी की पूजा के लिए विशेष बीज मंत्र होते हैं।

सबके होते हैं पृथक मंत्र

शास्त्रों के अनुसार माता दुर्गा के नव देवी रूप में हर स्वरूप के लिए एक पृथक बीज मंत्र होता है। नवरात्रि में इन मंत्रों का जाप करने से मां अत्यंत प्रसन्न होती हैं, और सुख समृद्धि का आर्शिवाद देती हैं। आइए जानें वे बीज मंत्र जो इन नौ देवी स्वरूपों को प्रसन्न करते हैं।

पहला शैलपुत्री का बीज मंत्र: ह्रीं शिवायै नम:

दूसरा ब्रह्मचारिणी का बीज मंत्र: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:

तीसरा चन्द्रघंटा का बीज मंत्र: ऐं श्रीं शक्तयै नम:

चौथा कूष्मांडा का बीज मंत्र: ऐं ह्री देव्यै नम:

पांचवा स्कंदमाता का बीज मंत्र: ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:

छठा कात्यायनी का बीज मंत्र: क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:

सातवां कालरात्रि का बीज मंत्र: क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:

आठवां महागौरी का बीज मंत्र: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:

नवां सिद्धिदात्री का बीज मंत्र: ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम

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