पूर्णिया/बिहार – पूर्णिया कोसी और सीमांचल में स्वास्थ्य नगरी के रूप में जाना जाता हैं। यहां नेपाल, बंगाल, झारखंड , असम के मरीज भी इलाज के लिए पहुंचते है। यही वजह है कि लाइन बाजार में निजी क्लीनिक की भरमार लगी हुई है।और खास बात यह कि हर रोज यहां मरीजो की तादाद भी बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के अनुसार सैकड़ो निजी क्लीनिक ,नर्सिंग होम , और अस्पतालों का संचालन हो रहा है। दूसरी तरफ यह बात तो साफ है कि जिस प्रकार डॉक्टरों की संख्या बढ़ रही है। उसी प्रकार लगातार दलाल भी अपना जाल फैलाने में सफल हो रहे है। लगभग डॉक्टरों की दुकानदारी भी इन दलालो की वजह से चरम पर है। दलाल आउटसोर्सिंग का मजबूत जरिया माना जा रहा है ,जो गांवो से मरीज को पकड़ कर उनका आर्थिक शोषण करते है।शहर में फैले निजी अस्पतालों, क्लीनिक और नर्सिंग होम के प्रबंधक ने अपने बिजनेस को फलने फूलने के लिए इस प्रकार के दलालो का मदद लेते है। गाँव से लेकर शहर तक हजारो दलाल अपने कमीशन को ले कर मरीजों को इन डॉक्टरों के हवाले करते हैं और उनका आर्थिक शोषण करते है।
गांव के झोलाछाप डॉक्टर दलालों के नेटवर्क की सबसे अहम कड़ी होते हैं. हर कोई जानता है कि झोलाछाप डॉक्टर की अपने इलाके में गहरी पकड़ होती है. वजह यह है कि मुश्किल के क्षणों में सबसे पहले झोलाछाप डॉक्टर ही मरीजों तक पहुंचता है. ऐसे में ग्रामीण इलाके के लोग आसानी से इन दलालों के झांसे में आ जाते हैं. दलाल मरीज को अपने डॉक्टर तक पहुंचाते हैं और अपना कमीशन प्राप्त करता है. सर्जरी के मामले में दलाल को अच्छी खासी रकम की मिलती होती है।
दलाल मरीजों को न केवल निजी अस्पताल और क्लिनिक तक पहुंचाते हैं बल्कि इलाज जब तक पूरी न हो जाय साथ मौजूद रहते हैं. लगभग हर डॉक्टर विभिन्न तरह की पैथोलॉजी जांच लिखता है. ग्रामीण क्षेत्रों से आये मरीज जांच के मामले में भी दलाल पर ही आश्रित रहते हैं. यहां खास बात यह है डॉक्टर का पैथोलॉजी से भी पहले से सेटिंग रहता है, लिहाजा दलाल भी उसी जांच केंद्र तक मरीज को ले जाता है. पैथोलॉजी जांच में ली गयी राशि का 30 से 40 परसेंट तक डॉक्टर को कमीशन दिया जाता है, दलाल को भी 5 परसेंट तक कमीशन मिल जाता है. इस प्रकार एक साथ क्लिनिक और अस्पताल संचालक तथा पैथोलॉजी दोनों गुलजार रहता है.
-शिव शंकर सिंह,पूर्णिया/ बिहार