बरेली। ब्लैक फंगस (म्यूकॉरमाइकोसिस) नाम के संक्रमण को लेकर लोग डर गए हैं। कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों में इस बीमारी के लक्षण दिखाई दिए हैं। कोविड 19 और डायबिटीज के मरीजों के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है। सीएमओ डा.एसके गर्ग बताते हैं कि इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार म्यूकॉरमाइकोसिस एक फंगस संक्रमण है, जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। यह संक्रमण नाक, आंख, दिमाग, फेफड़ें या स्किन पर भी हो सकता है। इस बीमारी में कई लोगों की आंखों की रोशन चली जाती है तो कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। नाक में दर्द हो, खून आए या नाक बंद हो जाए, नाक में सूजन आना, दांत या जबड़े में दर्द हो या गिरने लगना, सीने में दर्द, बुखार, सिर दर्द, खांसी, सांस लेने में दिक्कत और खून की उल्टियां होना, कभी-कभी दिमाग पर भी असर होना इसके लक्षण माने गए है। 300 बेड कोविड अस्पताल के प्रभारी डा.वागीश वैश्य बताते हैं कि ब्लैक फंगस दिखने के बाद जब रोगी के सीने या सिर का एक्सरे किया जाता है तो उसमें स्पष्ट तौर पर कालापन दिखता है। सबसे अधिक खतरा मधुमेह रेागी, गुर्दा प्रत्यारोपण करा चुके व्यक्ति या जिनका शुगर लेवल 300 से 500 तक है, उन लोगों में समय के साथ मौत की आंशका बढ़ जाती है। म्यूकॉरमाइकोसिस उन लोगों को तेजी से अपना शिकार बनाता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों का इम्युनिटी सिस्टम बहुत कमजोर होता है। इसलिए ऐसे लोगों को अपनी चपेट में ले लेगा। डायबिटीज है व शुगर बढ़ जाने पर ब्लैक फंगस खतरनाक रूप ले सकता है। डा.वागीश वैश्य बताते हैं कि हवा में फंगस की मौजूदगी के कारण यह सबसे पहले नाक में घुसता है। फेंफड़ों के बाद रक्त से मस्तिष्क तक पहुंच सकता है। ब्लैक फंगस का संक्रमण जितना गंभीर होता है, उतने ही इसके लक्षण भी गंभीर होते हैं। नाक पर जहां चश्मा अटकता है, वो काली दिखने लगेगी, जिसे नेजल ब्रिज कहते हैं। काला फंगस जब मस्तिष्क तक पहुंचेगा, तो व्यक्ति बेहोशी की हालत में रहेगा। जबड़े व दांतों में संक्रण का स्तर गंभीर होने पर ऑपरेशन की भी जरूरत पड़ सकती है।।
बरेली से कपिल यादव