एमडीए राउंड को सफ़ल बनाने के लिए अब डीसीएम एवं बीसीएम भी करेंगे सहयोग

•एमडीए राउंड की सफ़लता के लिए राज्य स्तरीय कार्यशाला का हुआ आयोजन 
•डीसीएम , बीसीएम एवं वेक्टर बोर्न कर्मियों का हुआ संवेदीकरण 
•एमडीए राउंड वाले 24 जिलों के स्वास्थ्यकर्मियों ने किया प्रतिभाग 

वैशाली/बिहार- देशभर में 10 फ़रवरी से सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम( एमडीए) का आयोजन किया जा रहा है. देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में सबसे बड़ा एमडीए राउंड आयोजित होना है. एमडीए को सफ़ल बनाने के लिए अब डीसीएम एवं बीसीएम भी सहयोग करेंगे. राज्य के 24 जिलों में लगभग 7.58 करोड़ आबादी को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस लिहाज से एमडीए राउंड को सफ़ल बनाने की ज़िम्मेदारी भी अधिक है. यह तभी संभव हो सकता है जब समुदाय के समस्त लक्षित आबादी एमडीए राउंड में दवा सेवन करेंगे. उक्त बातें फाइलेरिया के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने  एमडीए राउंड की सफ़लता के लिए राज्य स्तर पर आयोजित कार्यशाला के दौरान कही. डॉ. प्रसाद ने कहा कि राज्य के सभी 38 जिलें फाइलेरिया से प्रभावित हैं. राज्य में दिसम्बर, 2022 तक हाथीपांव के 94527 एवं हाइड्रोसील के 21896 मामले प्रतिवेदित हैं. एमडीए राउंड में खिलाई जाने वाली दवा पूर्णता सुरक्षित एवं प्रभावी है. 

वर्ष 2004 से एमडीए राउंड की हुयी है शुरुआत: 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी कोऑर्डिनेटर डॉ. राजेश पांडेय ने कहा कि फाइलेरिया नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज में एक प्रमुख रोग है. विश्व के 72 देशों में 85.9 करोड़ आबादी फाइलेरिया के खतरे में हैं. विश्व भर में फाइलेरिया दीर्घकालीक विकलांगता का दूसरा प्रमुख कारण है.  उन्होंने बताया कि एनटीडी  के तहत एमडीए पर खर्च किए गए प्रति 1 डॉलर पर 25 डॉलर का फायदा होगा. बिहार में वर्ष 2004 से ही एमडीए राउंड चलाया जा रहा है. इस लिहाज से लगभग राज्य के सभी प्रखंडों में एमडीए के 12 राउंड कराए गए हैं. इसलिए एमडीए को प्रिवेंटिव कीमोथेरेपी भी कहा जाता है. 

प्रखंड स्तरीय रणीनीति फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जरूरी: 
डॉ. पांडेय ने कहा कि एमडीए राउंड की सफलता के लिए प्रखंड स्तर के स्वास्थ्यकर्मियों का तकनीकी प्रशिक्षण एवं निरंतर संवेदीकरण जरुरी है. इसे ध्यान में रखते हुए एमडीए राउंड से पूर्ण प्रखंड स्तरीय रणनीति पर जोर दिया जा रहा है. प्रखंड स्तरीय रणनीति में प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया क्लिनिक का निर्माण , प्रखंड स्तर पर नाईट ब्लड सर्वे एवं एमडीए के दौरान इवनिंग मीटिंग पर जोर दिया जा रहा है. एमडीए राउंड के पहले राज्य के 23 जिलों के 332 प्रखंडों में माइक्रो फ़ाइलेरिया प्रसार दर को जानने के लिए नाईट ब्लड सर्वे का आयोजन किया गया. जिसमें 48 प्रखंडों यानी 15% प्रखंडों  में माइक्रो फाइलेरिया दर 1% से कम पाई गयी. इसका आशय यह है कि इन प्रखंडों में अब फाइलेरिया प्रसार न्यूनतम स्तर पर आ गया है.

एमडीए पर डीसीएम एवं बीसीएम के सहयोग की हुयी चर्चा: 

आशा सेल के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. वाईएन पाठक ने आगामी एमडीए राउंड में डीसीएम एवं बीसीएम से आपेक्षित सहयोग पर विस्तार से चर्चा की. वहीं, आशा सेल के टीम लीड प्रणय ने आशा सेल एवं फाइलेरिया सेल के मध्य समन्वय पर चर्चा किया.

केयर इण्डिया से कालाजार एवं फाइलेरिया के टेक्निकल स्पेशलिस्ट  डॉ. इन्द्रजीत बनर्जी एवं डब्लूएचओ के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ. दिलीप ने फाइलेरिया प्रबंधन के लिए एमएमडीपी यानी रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता रोकथाम पर जानकारी दी. साथ ही केयर इण्डिया के एनटीडी टीम लीड बिकास सिन्हा ने एमडीए राउंड में पार्टनर की भूमिका पर चर्चा किया. राज्य फाइलेरिया सलाहकार डॉ. अनुज रावत ने रिपोर्टिंग एवं डॉक्यूमेंटेशन संबंधित जानकारी प्रतिभागियों को दिया. 

इस दौरान राज्य के 24 एमडीए जिलों से डीसीएम, बीसीएम एवं वेक्टर बोर्न सलाहकार, केयर इण्डिया के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक बासब रुज एवम प्रीति,  लेप्रा सोसाइटी से आलोक कुमार,  पीसीआई से डॉ पंखुरी एवं सीफ़ार के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी रणविजय सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए.

– बिहार से नसीम रब्बानी

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