एमडीए अभियान की तैयारी का आंकलन करने के लिए हुई राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक 

*एमडीए अभियान के लिए चयनित जिलों के वेक्टर बोर्न डिजीज अधिकारीयों एवं कर्मियों ने की शिरकत
 
पटना/बिहार- देश और राज्य से फाइलेरिया उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य महकमा निरंतर प्रयासरत है. केंद्र सरकार पूरे देश से फाइलेरिया उन्मूलन के लिए वर्ष 2030 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए बुधवार को जूम मीटिंग के दौरान सभी फाइलेरिया से संबंधित अधिकारियों को कई आवश्यक निर्देश दिए गए. राज्य के 24 जिलों में अगले माह दस फरवरी से एमडीए का मेगा लांचिंग यानि किया सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान 16 जिलों में 2 दवाएं एवं शेष 8 जिलों में तीन तरह की दवाएं घर-घर जाकर लोगों को खिलाई जाएगी. अभियान की तैयारियों का आंकलन करने के लिए राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन बुधवार को वर्चुअल माध्यम से किया गया।
 
विस्तार से हुई तैयारियों पर चर्चा:
  
समीक्षा बैठक का संचालन करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज के राज्य कोऑर्डिनेटर डॉ राजेश पांडेय ने बताया कि एमडीए अभियान की सफलता इसके लिए की जा रही तैयारी पर निर्भर करती है. मरीजों की लाइन लिस्टिंग, फॅमिली सर्वे, प्रखंड स्तर तक के स्वास्थ्यकर्मियों का क्षमतावार्धन आदि इन सभी बातों पर अभियान की सफलता टिकी है। डॉ. पांडेय ने कहा कि सभी को एकजुट होकर यह प्रयास करना चाहिए कि अभियान के दौरान लक्षित आबादी को अपने सामने दवा खिलाई जाये और एक भी व्यक्ति ना छुटे.

जिलावार की गयी तैयारियों की समीक्षा:

विश्व स्वास्थ्य संगठन के फ़ाइलेरिया सलाहकार डॉ. अनुज रावत के नेतृत्व में सभी जिलों के तैयारी के सभी पक्षों की समीक्षा की गयी और जरुरी निर्देश दिए गए. बैठक के दौरान सभी तरह के रिपोर्टिंग फॉर्मेट को ससमय राज्य कार्यालय को उपलब्ध कराने पर बल दिया गया.
  
विश्व के 72 देशों में लगभग 86 करोड़ आबादी फाइलेरिया के खतरे में:
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज के राज्य कोऑर्डिनेटर डॉ. राजेश पांडेय ने बताया कि फाइलेरिया नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डीजीज में एक प्रमुख रोग है. विश्व के 72 देशों में 85.9 करोड़ आबादी फाइलेरिया के खतरे में हैं. विश्व भर में फाइलेरिया विकलांगता का दूसरा प्रमुख कारण है. इससे विश्व भर में लगभग 200 करोड़ रूपये की आर्थिक क्षति होती है. उन्होंने बताया कि एन टी डी जिसमे फ़ाइलेरिया भी शामिल है के उन्मूलन पर खर्च किए गए प्रति 1 डॉलर पर 25 डॉलर का फायदा होगा. डॉ. पांडेय ने बताया कि फाइलेरिया प्रबंधन एवं उन्मूलन की दिशा में मरीजों को न्यूनतम पैकेज ऑफ़ केयर प्रदान करने पर जोर दिया जा रहा है. जिसमें फाइलेरिया संक्रमण का उपचार, एक्यूट अटैक का उपचार, हाथीपांव का प्रबंधन एवं हाइड्रोसील का सर्जरी शामिल है. इस दौरान उन्होंने फाइलेरिया प्रसार, फाइलेरिया उन्मूलन रणनीति, एमडीए, एमएमडीपी सहित हाथीपांव के चरणों के विषय में विस्तार से जानकारी दी.

– बिहार से नसीम रब्बानी

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