बरेली। राज्य कर जमा करने से बचने के लिए एक ठेकेदार ने कई करोड़ रुपये की हेराफेरी की। जीएसटी एसआईबी ने शक के आधार पर छानबीन की तो पता चला कि बीडीए मे ठेकेदार और सप्लायर ने दिल्ली की फर्जी फर्मों से सवा आठ करोड़ रुपये के फर्जी बिल जारी करा लिए। जिसमें एक करोड़ 20 लाख रुपये की टैक्स चोरी पकड़ी गई है। धनराशि को जीएसटी के खाते में जमा करा दिया गया है। टीम दस्तावेजों को कब्जे में लेकर जांच कर रही है। अपर आयुक्त ग्रेड-1 राज्यकर ओपी तिवारी के निर्देश पर जीएसटी एसआईबी की टीम ने मामले की जांच शुरू की। डिप्टी कमिश्नर अनिरुद्ध सिंह के अनुसार राजेंद्र नगर निवासी एक व्यक्ति बीडीए मे सरकारी वर्क कांट्रेक्टर और सप्लायर है। उसकी एसएस बिल्डर के नाम से फर्म बनी है। फर्म की छानबीन मे पाया कि पिछले तीन साल के अंतराल में ठेकेदार ने करीब 200 करोड़ का भुगतान प्राप्त करते हुए 35 करोड़ की करदेयता स्वीकार की लेकिन टैक्स सिर्फ 90 लाख ही नकद में जमा किया, जबकि बाकी देय टैक्स का समायोजन आईटीसी के माध्यम से किया गया था। जीएसटी की टीम ने शुक्रवार को व्यापार स्थल की छानबीन की तो पाया कि ठेकेदार ने नकद टैक्स भुगतान से बचने और फर्जी आईटीसी के अर्जन (बिक्री पर लगने वाले टैक्स को कम करने के लिए) दिल्ली की बोगस और अस्तित्वहीन फर्मों से करीब सवा आठ करोड़ के फर्जी बिल बनवा लिए थे। प्रारंभिक तौर पर 8.25 करोड़ के सकल टर्नओवर की चोरी पकड़ में आई है। जिसमें एक करोड़ 20 लाख की टैक्स चोरी पाई गई। ठेकेदार ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए 49 लाख रुपये आईटीसी से जमा किए और 71 लाख रुपये जांच पूरी होने पर डीआरसी-3 के माध्यम से सरकारी खजाने मे जमा किए। डिप्टी कमिश्नर अनिरुद्ध सिंह का कहना है कि मौके से कई दस्तावेज कब्जे में लिए हैं, जिनकी जांच चल रही है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। कार्रवाई में असिस्टेंट कमिश्नर वेद प्रकाश शुक्ला, राज्य कर अधिकारी रौनक अल्वी आदि शामिल रहे।।
बरेली से कपिल यादव