एक अकेले सौ पे भारी जब लेते तलवार उठाए , मन में बस रही यही तमन्ना भारत माँ आज़ाद कहाय

बिहार: जगदिशपुर (आरा) बाबू वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव के 160वें समारोह के दूसरे दिन की संध्या मालिनी अवस्थी, उषा कुमारी, राजीव रंजन सिंह, मोहर्रम राठौर और डॉ नीतू कुमारी नवगीत की कलाकारी के नाम रहा । भारत की प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने एक रहल वीर कुंवर सिंह, भारत माई के ललनवा, स्वाभिमान से भर ले हुंकार रे बिहार से गाकर बाबू वीर कुंवर सिंह के शौर्य से लोगों को अवगत कराया और उनके अंदर जोश भरा । इसी जोश को डॉ नीतू कुमारी नवगीत ने बरकरार रखते हुए गाया – एक अकेले सौ पे भारी जब लेते तलवार उठाए, मन में बस रही यही तमन्ना भारत मां आजाद कहाय । वीर कुंवर सिंह के साहस और बहादुरी तथा अमर बलिदान की गाथा उन्होंने फिरंगियों के छक्के छुड़ाए, बाबू कुंवर सिंह वीर कहलाए । भोजपुरिअन के शान बढ़ाए, बाबू कुंवर सिंह वीर कहलाए गीत के माध्यम से सुनाई । कार्यक्रम में नीतू कुमारी नवगीत ने देवी गीत हो माई की चुनर में देखी चंदा चमके सूरज दमके तारा झिलमिल झिलमिल झलके लागे रूप सुहागन बड़ा रे, मोरा पिछुअरवा झिहिरिया के गछिया, बही जाए रे बयरिया झिरी-झिरी,
एही ठईयाँ टीकुलि हेरा गइले दईया रे, परदेशी बलमुआ से ना आइले, फ़र गईले नेमुआ, ओलर गईले डालिया जैसे पारंपरिक गीत भी पेश किए । डॉ नीतू कुमारी नवगीत ने बेटियों को अच्छी शिक्षा देने, दहेज प्रथा की समाप्ति, बाल विवाह न करने और महिलाओं को उचित सम्मान देने की अपील करते हुए या रब हमारे देश में बिटिया का मान हो जेहन में बेटों जितना ही बेटी की शान हो, बिटिया के भैया पढ़ावल जाई हो जननी है काल्हे की, बचाबल जाई हो और खेले कूदे के दिन में न शादी की होई हें बर्बादी जी जैसे लोकगीत भी पेश किए ।

-नसीम रब्बानी, पटना/ बिहार

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