उर्दू अदब की जान होती है नशिस्त : इश्तियाक

भदोही। नगर के मोहल्ला नुरखांपुर में बीती रात शायर आकिल नक़्शबन्दी के आवास पर बज़्मे अहले क़लम के तत्त्वाधान में मरहूम सालिम भदोहवी की याद में एक शानदार नशिस्त का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की सदारत शायर ख़ालिद अंसारी ने तो निज़ामत रईस भदोहवी ने की। नशिस्त का आगाज़ तिलावते क़ुरआन पाक से मेराज भदोहवी ने किया उसके बाद शायर सलमान भदोहवी ने पढ़ा कि। दिल को बेहद सुकून मिलता है। तेरी गलियों में आने जाने से। पढ़ा तो दादो सुखं से नवाजे गए। इसी तरह फैज भदोहवी ने पढ़ा कि। शाहे उमम के दीन पे जो क़ुर्बान हो गए।इस्लाम की जहां में वो पहचान हो गए। पढ़ा तो खूब वाहवाही लूटी। वहीं शायर हामिद भदोहवी ने हालाते हाजरा पे कलाम पेश करते हुए पढ़ा कि। इंसान जानवर की तरह मर रहे है रोज़। कुछ लोग जानवर को बचाने में लगे है। दादो तस्कीन से नवाजे गए। वहीं युवा शायर युवाओं को नसीहत आमेज़ अशआर पेश करते हुए पढ़ा कि। मिलते है रोज जख्म नए राहे इश्क में। तौसीफ दिल किसी से लगाया न कीजिये।पढ़ा तो युवा दिल मचल गए। वहीं उस्ताद शायर आकिल नक्शबंदी ने लोगो के दिलो में अपने अशआर के जरिये हकीकत को जज्ब करते हुए पढ़ा कि। जो पढ़ते नही है नमाजे हकीकत। वो सज्दे में अक्सर खुदा ढूंढते है। पढ़ा तो लोग कहने लगे हक है। वहीं शायरों की निगहबानी व पासबानी करने वाला हिंदुस्तान का अजीम शायर जनाब साबिर जौहरी ने उन चरागों की हकीकत अपने अशआर के जरिये पेश किया जिन चरागों के ऊपर एतमाद हुआ करता है। पढ़ा कि जला के ताख पे रखा था रौशनी के लिए। मगर चराग ने मेरा ही घर जला डाला। पढ़ा तो खूब दादो सुखन से नवाजे गए।इसी तरह शायर मजनू भदोहवी ने पढ़ा कि। खेत खलिहान बामो दर ले लो। ये महकते हुए शजर ले लो। शायर राजी भदोहवी ने ऐसा कलाम पेश किया कि लोग अपने आपको रोक न सके और मचल गए।पफहा कि मेरे भारत की शान है उर्दू। हर सुख़नवर की जान है उर्दू। वहीं बज़्मे नशिस्त में महकते हुए एक से बढ़ कर एक शायरों ने कलाम पेश कर लोगो को दादो सुखन देने पर मजबूर कर दिया। वहीं शायर डॉ0 एजाज अहमद, शायर शब्बीर जौनपुरी, रईस भदोहवी, आलम भदोहवी, शायर आरिफ ज़ाफ़री, खालिद अंसारी, जावेद आसिम, मेराज भदोहवी,शमशाद उर्फ बड़कऊ ने भी अपने कलाम सुनाये इस मौके पर मुशायरों के कन्वीनर के रूप में एक पहचान बनाने वाले समाजसेवी व समाजवादी पार्टी के पूर्व नगर अध्यक्ष इश्तियाक डायर ने कहा अगर उर्दू अदब की पहचान मिली है तो इन्ही नशिस्तो के जरिये। कहा नाशिस्तो में छोटे-छोटे शायरों को पढ़ने का मौका मिलता है जिससे उनके अंदर छुपी प्रतिभा लोगो के सामने आती है और वे एक दिन हिंदुस्तान के माएनाज शायरों में गिने जाने लगते है।कहा नाशिस्तो कि होना बहुत ही जरूरी होता है इससे जहां उर्दू अदब को फरोग मिलती है तो वहीं स्थानीय शायरों को अपना कलाम सुनाने का मौका भी मिलता है। इस खुशगवार मौके पर मास्टर मोबीन अंसारी, रिजवान डायर,आसिफ अंसारी,शानू आदि प्रमुख रूप से रहे।
पत्रकार आफ़ताब अंसारी

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