रुद्रप्रयाग- जिला पंचायत रुद्रप्रयाग की बोर्ड बैठक में स्थायी राजधानी गैरसैंण का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। इस मौके पर सदस्यों ने गैरसैंण राजधानी के लिए पूर्ण समर्थन देने के साथ ही संकल्प पत्र भरा।
पूरे उत्तराखंड में जिला पंचायत रुद्रप्रयाग में सबसे पहले स्थायी राजधानी गैरसैंण का प्रस्ताव पारित हुआ। इससे पूर्व अगस्त्यमुनि ब्लॉक और ऊखीमठ की बीडीसी बैठक में भी सर्व सम्मति से गैरसैंण का प्रस्ताव पारित किया गया था। इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष सुश्री लक्ष्मी राणा ने कहा कि जिला पंचायत के सभी सदस्य गैरसैंण राजधानी के पक्ष में हैं। गैरसैंण को लेकर संघर्ष समिति को पूरा सहयोग किया जाएगा। उन्होंने आंदोलन के लिए संघर्ष समिति का धन्यवाद भी ज्ञापित किया और कहा कि सरकार को जल्द गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित कर देनी चाहिए। जनता की भावनाएं गैरसैंण के पक्ष में हैं।
जिला पंचायत उपाध्यक्ष लखपत सिंह भंडारी ने कहा कि गैरसैंण राजधानी से ही पहाड़ का विकास हो सकता है। राजधानी न बनने से राज्य की परिकल्पना ही अधूरी है। जिला पंचायत सदस्य महावीर पंवार, राजाराम सेमवाल, संगीता नेगी ने कहा कि उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण ही होनी चाहिए। राज्य के लिए कई लोगों ने अपनी शहादत दी। कई लोगों ने अपना पूरा जीवन खपाया। लेकिन राजधानी अभी तक नहीं मिली। पूरे देश में उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है, जिसकी अपनी राजधानी नहीं है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तराखंड में जिला पंचायत रुद्रप्रयाग को सबसे पहले गैरसैंण राजधानी का प्रस्ताव पारित करने का सौभाग्य मिला है। 16 मार्च को जखोली में आयोजित बीडीसी बैठक में भी प्रस्ताव पारित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे राजधानी आंदोलन गति पकड़ रहा है। इसे प्रदेशव्यापी बनाने के लिए रणनीति बनाई जा रही है।
संघर्ष समिति के सत्यपाल नेगी, केपी ढौंडियाल, विनोद डिमरी, पुरूषोत्तम चन्द्रवाल, प्यार सिंह नेगी, राय सिंह रावत, रमेश नौटियाल, प्रदीप सेमवाल ने कहा कि हम सभी ने गैरसैंण राजधानी का सपना देखा है। जब तक राजधानी नहीं बनती, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। पहाड़ी राज्य की राजधानी पहाड़ में ही होनी चाहिए। इसके लिए पहाड़ के एक-एक युवा और महिला को सड़कों पर उतरना होगा।
इस मौके पर जिला पंचायत सदस्य योगंबर सिंह नेगी, श्रीमती आशा डिमरी, हरीश लाल टम्टा, श्रीमती देवेश्वर नेगी, श्रीमती दीपा देवी, महावीर सिंह कैंतुरा, पूनम देवी, मीना पुंडरी, शिशपाल मौर्य, अंजू जगवाण, गोपाल सिंह पंवार, रजुली देवी, सुलोचना देवी आदि मौजूद थे।
-इन्द्रजीत सिंह असवाल,पौड़ी गढ़वाल