उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण आक्रोश दिवस पर काला फीता लगाकर दिया गया धरना

•देहरादून धरना स्थल पर हुई सभा में राजधानी गैरसैण बनाने का लिया गया संकल्प

उत्तराखंड / देहरादून- गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान की कोर कमेटी के आह्वान पर आज गाँधी दिवस पर आयोजित आक्रोश दिवस में काला फीता बांधकर धरना दिया गया व जनसभा आयोजित की गई| आज के धरना कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवा आंदोलनकारी सम्मिलित हुए| सभा में बोलते हुए डीएवी महाविद्यालय के पूर्व महासचिव सचिन थपलियाल ने कहा कि हमने यूँ तो उत्तराखंड आंदोलन में भागीदारी नहीं की क्योंकि तब हम अबोध बालक थे परंतु अपने से बड़ों से सुनने पर वहाँ घटी वीभत्सता का पता चलता है| सचिन ने कहा कि गाँधीजी अहिंसा के पुजारी थे, शास्त्री जी नागरिक सम्मान देने के प्रथम पैरोकार थे परंतु इनके जयंती पर आंदोलनकारियों पर की गई बर्बरता व 24 साल बाद भी उनको न्याय न मिलना बेहद दुर्भाग्य की बात है| ऊपर से राजधानी के सवाल को टालना जले पर नमक छिडकना जैसा है| सभा में बोलते हुए बॉबी पंवार ने अपनी कविता प्रवास के द्वारा पलायन पर गहरी चोट की| बॉबी के बोल कि ‘जिन गांवों ने नींव रखी थी भारत देश की, आज वहाँ कोई रहना नहीं चाहता, प्रवास के रोग यह हमें नहीं भाता’ के द्वारा गांवों के उजड़ते स्वरूप पर चोट की| उन्होंने अपनी कविता को द्वारा स्मार्ट सिटी तक सोच सीमित करने को भी ऐसे हाथों लिया| ‘आज जमाना यह आया, स्मार्ट सिटी की प्रोजेक्ट बनाया, गाँव की सुध लेने कोई नहीं जाता’, के द्वारा नीति में स्मार्ट विलेज को स्मार्ट सिटी पर तरजीह देने पर जोर दिया|
समाज सेविका व अध्यापिका उत्तरा पंत बहुगुणा ने अपनी गढवाली कविता “युग युग बीटी सत्य बोनी छौ, फिर भी खून का आंसू रेणू छौ” के द्वारा उत्तराखंड की महिलाओं के दर्द को उखेरा| उत्तरा पंत ने सत्ताधारियों द्वारा महिला अपमान पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि “पत्थरों तै यख विपदा बतैक 28/06/2018; पत्थरों तै यख विपदा बतैक खुद अपणुवमान घटौंणु छौं”| विदित हो कि 28/06/2018 को उत्तरा पंत को न केवल जनता दरबार में अपमानित किया गया था बल्कि मुख्यमंत्री द्वारा गिरफ्तार करवा दिया गया था| आज की सभा को संबोधित करने वालों में रघुवीर बिष्ट, जबर सिंह पाने, रविन्द्र प्रधान, लुसुन टोडरिया, कामपाल खंडूरी, देवेन्द्र चमोली, जगमोहन मेहंदीरत्ता, जगदीश कुकरेती, पीसी थपलियाल, रामपुर तिराहा गोलीकांड के घायल मनोज ध्यानी, माँ प्रभा किरण, चतुर सिंह, मदन सिंह भंडारी आदि प्रमुख थे| सभा का संचालन पीसी थपलियाल जी’ द्वारा किया गया| सभा का शुभारंभ राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, लाल बहादुर शास्त्री व उत्तराखंड आंदोलन के शहीदों को श्रद्दांजलि देकर की गई| काला दिवस मनाया हुए सभा द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया कि सरकार उत्तराखंड आंदोलन की घटनाओं व दोषियों को दण्डित करने पर श्वेत पत्र लाकर जनता के सामने आए| इस अवसर पर मांग की गई कि सरकार 09 नवम्बर 2018 से पूर्व राजधानी गैरसैण बनाने के निर्णय को उद्घोषित करे व तत्संबंध में अध्यादेश जारी करे| अन्यथा राजधानी गैरसैण अभियान आरपार की लड़ाई लड़ी जायेगी।
– पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल

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