बरेली। सोमवार को भोर होते ही नदी, नहर और सरोवर तटों पर फिर मेला जुटने लगा। व्रतियों ने घाट पर उगते भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर संतान प्राप्ति, परिवार और समाज कल्याण की कामना की। इसके बाद हवन-पूजन किया। पारण के साथ संकल्प तोड़ा। घाट से लेकर घर तक प्रसाद बांटे गए। बीते 28 अक्तूबर को नहाय-खाय के साथ महापर्व छठ शुरू हुआ था। 29 को खरना हुआ। 30 को शाम मे व्रतियों ने पहला अर्घ्य दिया। इसके बाद रात मे व्रती घर चले गए। दूसरा अर्घ्य देने के लिए अल सुबह ही व्रती पुन: घर से घाट के लिए निकल गए। पुरुष सदस्य सिर पर दउरा लिए घाटों की तरफ चल पड़े। उनके पीटे छठी मइया के मंगलगीत गाते हुए महिलाएं निकलीं। सभी उल्लास और हर्ष से सराबोर रहे। छठी मैया से गीतों में कल्याण की प्रार्थना करते महिलाओं का जत्था इज्जतनगर के शंकर-पार्वती मंदिर में बने घाट, रुहेलखंड विश्वविद्यालय परिसर में बने घाट पर पहुंचा। सूप मे केला, अमरूद समेत मौसमी फल और प्रसाद लेकर महिलाओं ने श्रद्घापूर्वक भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। हाथ जोड़कर उनसे पुत्र कल्याण, परिवार-समाज के सुख का आशीर्वाद मांगा। व्रती महिलाओं ने घाटों पर बनी वेदिका की पूजा की। उनको सिंदूर, प्रसाद, रोरी, रक्षा चढ़ाया। व्रती महिलाओं ने एक-दूसरे को छठ पूजा की बधाई दी। अगले बरस छठी मैया से फिर खुशियां लेकर आने का वरदान मांगा। रुहेलखंड विश्वविद्यालय परिसर, नकटिया नदी, रामगंगा नदी और इज्जतनगर रेलवे कॉलोनी शिव पार्वती मंदिर में भी छठ पर्व धूमधाम से मनाया गया।।
बरेली से कपिल यादव