ईद की खुशियों पर रहेगा कोरोना का पहरा, बच्चों का छीन लिया उत्साह, सादगी से मनाए ईद

बरेली। मुस्लिम धर्मावलंबियों की सबसे अहम और पवित्र माह ए रमजान के बाद तोहफे के तौर पर मनाई जाने वाली ईद पर इस वर्ष भी कोरोना का संकट का असर दिख रहा है। स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के कारण एक दूसरे से गले नहीं मिल पाते हैे। त्योहार को सादगी के साथ मनाया जाएगा। लगातार दूसरी बार कोरोना के कड़े पहरे के कारण त्योहार में इस तरह का रुख अपनाना पड़ रहा है। घर पर रहकर ही लोग लजीज व्यंजन का लुत्फ उठाएंगे। शहरी क्षेत्र के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों के भी दुकानें बंद है। ऐसे में लोग भी इस संकट की घड़ी में नए कपड़ों के तामझाम से बचना चाहते है। ईद-उल-फितर को लेकर छोटे-छोटे बच्चों और युवक-युवतियों में गजब का उत्साह रहता था। बाजारों में खरीदारी को लेकर भीड़भाड़ रहने के साथ-साथ जगह-जगह मेलों का आयोजन किया जाता था। खासकर बच्चे ईद की तैयारियों को लेकर काफी उत्साहित रहते थे। ईद में नए नए कपड़े और मजेदार और स्वादिष्ट पकवानों के साथ-साथ घर पर आने वाले मेहमानों और रिश्तेदारों से ईदी (त्योहारी में मिलने वाले पैसों) की उम्मीद में भी बच्चे काफी खुश दिखाई देते थे। घर पर आने वाले मेहमानों से ईदी के पैसे लेकर मेलों में घूमने और दोस्तों के साथ पार्टी करने का अवसर इस बार बच्चे पूरी तरह से खो चुके हैं। जिस वजह से बच्चों में काफी मायूसी छाई हुई है। नमाजे ईद-उल-फितर अदा होने से पहले फितरे का अदा किया जाना जरूरी है। फितरे को सदकतुल फितर कहा जाता है और यह नमाजे ईद-उल-फितर से पहले तक जन्म लेने वाले बच्चे की ओर से भी अदा किया जाना वाजिब है। हर व्यक्ति की ओर से फितरे के रूप में लगभग दो किलो 45 ग्राम गेहूं या फिर इसकी बाजारी कीमत जो 42 से 43 रुपये है। अदा करना जरूरी है। फितरा की रकम को लेकर नबीरे आला हजरत हसन मियां ने लोगों से 50 रुपए मुकर्रर की है। क्योंकि फिरता कम जाना अच्छा नहीं माना जाता है जबकि ज्यादा फितरा देना काफी अफजल माना गया है। जब तक फितरा अदा न हो जाए रोजेदार के रोजे जमीन और आसमान के बीच लटके रहते हैं। फितरा अदा होते ही रोजे अल्लाह तक पहुंचते है। दरगाह आला हजरत से बरेली समेत मुल्क भर के मुसलमानों से अपील की गई है कि ईद-उल-फित्र की नमाज अपने घर की नजदीक मस्जिद में ही अदा करें और ईदगाह में चंद लोगो के साथ ही ईद की नमाज अदा की जाएगी। जमात रजा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान मियां ने कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर चल रही है। ऐसे में हुकूमत-ए-हिन्द की जानिब से मस्जिदों में चंद लोगों को ही नमाज़ पढने की इजाजत दी गई है। शुक्रवार को ईद की नमाज अदा होना हैं। सुन्नी बरेलवी मरकज पर कई राज्यों व शहरों से फोन आ रहें है कि मुल्क भर के मुसलमानों में चिंता है कि लॉकडाउन में ईद की नमाज कैसे अदा की जाएगी। उसी को लेकर दरगाह आला हजरत से पैगाम जारी किया गया है। नमाज से कुछ मिनट पहले ही घर के नजदीक की मस्जिद में मास्क लगाकर जाएं। वुजू अपने घर से कर के जाएं। ईद की नमाज अदा करने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग बना कर रखें। नमाज से फारिग होने के बाद मस्जिद में बिल्कुल भी न रुकें और न ही मस्जिद के बाहर रुक कर भीड़ लगाएं। मस्जिद से निकल कर मास्क लगाकर तुरंत अपने घरों को चले जाएं। और इस सिलसिले में दी गई तमाम हिदायात पर अमल करे। नबीरे आला हजरत कायदे मिल्लत व आईएमसी प्रमुख हजरत मौलाना तौकीर रजा खान के निर्देश पर इत्तेहाद ए मिल्लत कौंसिल के राष्ट्रीय महासचिव प्रवक्ता जनाब डॉ नफीस खान ने यह अपील की है कि मुस्लमान ईद सादगी से मनाएं क्योंकि फलस्तीन के मुसलमानों पर हो रहे जुल्म व सितम के खिलाफ और हमारे मुल्क हमारे प्रदेश हमारे शहर इस मूजी बीमारी से जो हजारों मौतें हुईं है। उन सब के गम में शरीक होने के लिए यह जरूरी है कि हम सभी लोग ईद सादगी से मनाये।।

बरेली से कपिल यादव

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