बिहार: (हजीपुर)वैशाली जिले के सहदेई बुजुर्ग प्रखंड का मुरौबतपुर गांव जहां लगभग सौ वर्षों से पिंडी पूजा होती आ रही है। जिसे लोग एक विशेष आस्था से जोड़कर देखते हैं, क्योंकि जो भक्त सच्चे दिल से माता का ध्यान करता है, उसकी मन्नते पूरी होती है। इस स्थल को सपनौति दुर्गा मां से भी जाना जाता है। यह मंदिर उत्क्रमित मध्य विद्यालय मुरौबतपुर के प्रांगण में एक पुराने पीपल वृक्ष के नीचे स्थापित है। पहले तो पीपल वृक्ष के नीचे ही माता की पूजा होती थी, लेकिन ग्रामीणों के सहयोग से एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। इस पिंडी पूजा के पीछे एक पुरानी कहावत है, कि नत्थे खां नामक व्यक्ति कहीं अपने काम से घोड़े से जा रहा था। तो एक जंगल में पहुंचते ही उसे एक आवाज सुनाई दिया, जो आवाज एक मिट्टी के ढेले से आ रहा था तो उस आदमी ने उस ढेले को लाकर मुरौबतपुर स्थित पीपल वृक्ष के नीचे रखकर पूजा अर्चना शुरू कर दी। उस वक्त से आज तक उस पिंडी का पूजा होते आ रहा है। और खास बात यह है कि उस मिट्टी का पिंडी आज भी उसी रूप में कायम है। जिसकी जानकारी मंदिर के पुजारी एवं ग्रामीणों ने दिया कलश स्थापना से भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। इस वर्ष इस पिंडी पूजा में लगभग 1200 महिला एवं पुरुष भाग ले रहे हैं। संध्या के समय पूजा अर्चना के बाद प्रथा के अनुसार सेब नारियल, केला, खीर, हलवा का प्रसाद माता स्थान से लेकर इर्द-गिर्द गांव में वितरण किया जाता है यहां नवमी तिथि को बकरे की बलि का प्रथा भी है। जो निर्धारित समय से प्रारंभ होता है।
रिपोर्ट-अमित कुमार , महनार अनुमंडल- वैशाली
इस वर्ष पिंडी पूजा में लगभग 1200 महिला एवं पुरूष ले रहे हैं भाग
