आरटीआई में हुआ खुलासा: मेयर के खर्च मुख्य वित्त एवं लेखा अधिकारी कार्यालय को नहीं पता

*आरटीआई एक्‍ट के तहत मिली जानकारी के विरुद्ध प्रथम अपील

आगरा- नगर निगम के मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय ,आगरा के मेयर के खर्चों की जानकारी नहीं रखता उपरोक्त जानकारी सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के जनरल सैकेट्री अनिल शर्मा को दी गयी है, नगर निगम के मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी को नहीं पता, आगरा के मेयर के ऑफिस और अन्य पर कितना खर्च होता है। मेयर के कितने कार्यालय नगर निगम के द्वारा संचालित किये जाते हैं,इसके प्रत्युत्तर में भी लेखा आधिकारी के द्वारा कहा गया है कि इस सम्बन्ध में कोई भी फाइल एकाऊंट सेक्शन के द्वारा तैयार नहीं की जाती है। जन सूचना के एक अन्य बिन्दु के सम्बन्ध में बताया गया है कि स्टाफ कार ,स्टेशनरी, राष्ट्रिय व अंतराष्ट्रीय यात्राओं के खर्च के सम्बन्ध में कोई भी फाइल एकाऊंट सेक्शन के द्वारा तैयार नहीं की जाती है। अगर उपरोक्‍त जानकारियां लेनी हो तो किसी भी कार्यदिवस पर सम्बंधित कार्यालय में देखी जा सकती हैं।

श्री शर्मा ने अपनी आर टी आई में वर्ष 2012-13, 2013-14, 2014-15, 2015-16,2016-17 और 2017-18, 2018-19, 20१९-20 के महीने वार खर्चे अपेक्षित किये थे। इसके जवाब में बताया गया है कि उपरोक्‍त सूचनायें किसी भी कार्य दिवस पर संबंधित कार्यालय से प्राप्त की जा सकती हैं। मुख्य वित्त एवं लेख अधिकारी के द्वारा उपरोक्‍त जानकारियां दी गई हैं उनको लेकर आश्‍चर्य है।क्यों कि उन्होंने नगर निगम के जनसूचना अधिकारी को जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन किया था, फिर उनका आवेदन पत्र उस कार्यालय को क्यों अग्रसारित किया गया जो अपेक्षित की गयी सूचनाओं को देने में सक्षम नहीं है।

श्री शर्मा ने कहा कि निगम के मुख्य वित्त एवं लेखा अधिकारी के द्वारा दिये गये उत्तर से असंतुष्‍ट हैं और उन्होंने इस जबाब के विरूद्ध प्रथम अपील भी कर दी है।

श्री शर्मा ने कहा है कि अब उनकी दिलचस्पी उस शासनादेश या प्रशासनिक आदेश की जानकारी को लेकर भी है, जिसके तहत नगर निगम आगरा के लेखा संबधी व्यवस्था संचालित है,जिसमें मेयर ऑफिस के खर्च और उनके मदो की जानकारी को वित्त एवं लेखा विभाग के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है।

उन्होंने कहा है कि नगर निगम के मुख्य वित्त एवं लेखा अधिकारी के अधिकार क्षेत्र नगर निगम के परिप्रेक्ष्‍य में अत्यंत व्यापक होते हैं, अगर इसमें किसी प्रकार का बदलाव या संशोधन किया गया है तो उनकी कोशिश होगी कि इसे जन जानकारी में भी लाया जाये।

श्री शिरोमणि सिंह, पार्षद और सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा के अद्याक्ष ने कहा/पूछा है –

१. मेयर जनता के द्वारा चुने जाते हैं और नगर निगम, उत्तर प्रदेश का सार्वजनिक establishment है. जिस का ऑडिट हर साल अकाउंटेंट जनरल उत्तर प्रदेश करता है (लोकल सेल्फ बॉडीज). इस की रिपोर्ट विधान सभा के पटल पर रखी जाती है.

२. बड़ी विडंबना है, जहाँ एक ओर देश का प्रधान मंत्री इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी को प्रोत्साहित कर भ्रष्ट्राचार को ख़तम करने का प्रयास कर रहा है, दूसरी ओर प्रदेश का मुख्यमंत्री, प्रदेश के नगर निगमों को बांड इशू करके अच्छा करने के प्रयास में है. वहीँ, ऐसा लगता है, नगर निगम आगरा, वित्त लेखा जोखा रखने में अपने आप को सक्षम नहीं मान रहा. जब नगर निगम बांड जरी कर के धन एकत्रित करना चाहता है, इस में पब्लिक हि नहीं इन्वेस्टर भी चाहेगा के उसे मालूम हो जो इन्वेस्टमेंट वो करेगा, उस पर आमदनी कैसे होगी? क्या खर्च हो रहा है, और क्या आमदनी है. यह लेखा जोखा तो सेबी और इन्वेस्टर को बताना होगा.

३. उन्होंने ने नगर आयुक्त से पूछा है, यह जानकारी देने के लिए कौन जिम्मेदार है और कौन सा डिपार्टमेंट मेयर पर हो रहे खर्च का लेखा जोखा रखता है. आशा है नगर आयुक्त, नगर निगम के मुखिया होने के नाते सही जानकारी देंगे.
– योगेश पाठक आगरा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *