आमजन के दर्द से भली भांति हूं परिचित : मोहन दान रत्नू

राजस्थान/बाड़मेर- बाड़मेर जिला मुख्यालय पर जिला परिषद के मूख्य कार्यकारी अधिकारी मोहन दान रत्नू का स्थानांतरण उप शासन सचिव राजस्व जयपुर होने के कारण पिछले कुछ दिनों से जिले के लोगों द्वारा अपणायत में जगह जगह पर बडे़ बडे़ होर्डिंग्स बैनर, तोरणद्वार, विदाई समारोह कार्यक्रम आयोजित हो रहें हैं शायद मारवाड़ री इण धरती पर इतना मान सम्मान पाने वाले यह पहलें राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होंगे जिन्हें बाड़मेर जिले का आमजन अपने दिल दिमाग से नहीं हटाना चाहते हैं लेकिन सरकार द्वारा रूटीन प्रक्रिया के कारण अधिकारियों को एक दूसरे जिलों में आना जाना होता रहता है लेकिन बाड़मेर जिला मेरे लिए भाग्यशाली हैं जिसने विशेषाधिकारी मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के कार्यालय तक पहुँचाया।

एक मुलाकात में जर्नलिस्ट काउंसिल आफ इडिया की सलाहकार समिति के सदस्य वरिष्ठ पत्रकार राजू चारण को मोहन दान रत्नू ने बताया कि बाड़मेर जिले में नियुक्ति के दौरान वैसे तो सभी अधिकारियों द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान सैकड़ों सरकारी कामकाज होते रहते हैं लेकिन सबसे ज्यादा सकुन जयसिन्धर गाँव की बन्द पडी सरकारी भवनों ओर योजनाओं को शुरू करवाकर आज लगभग दौ सौ छात्र छात्राओं के चेहरे पर जो मुस्कान नजर आई थी वो हमारे जीवन में सबसे बड़ी उपलब्धि हैं l

रत्नू ने बताया कि बाड़मेर जिले में ग्रामीणो को पिछले सालों सम्बोधित करते हुए कहा था कि आम जनता में स्वच्छता की भावना होनी चाहिए। उन्होने ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्धन के स्थाई समाधान के लिए ग्रामीणो को आगे आना होग और इसमें सभी का सहयोग हो तब यह कार्य सफल हो पाएगा। गांव में बिखरा कचरा एक जगह एकत्रित होगा। गंदा पानी हमारी गलियों व नालियों में जमा नहीं होना चाहिए यही स्वच्छता की मिशाल गाँव वालों ने मिलकर कायम किया है ओर आगे भी होनी चाहिये ।

रतनू ने बताया कि ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्धन के तहत ग्राम के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखने के लिए यह योजनाएँ कारगर साबित होगी। इसके तहत कपोस्ट पिट, सोख्ता पिट, निकासी नाली, कुड़ादान आदि कार्यो का निर्माण होगा। ठोस एवं तरल कचार अपशिष्ट प्रबन्धन ग्राम विकास का एक महत्वपूर्ण घटक होगा। ग्रामीण क्षेत्र के निवासरत लोगो के स्वास्थ्य में सुधार, पर्यावरण प्रदुषण कम करना और ग्रामीण परिवेश स्वच्छ रखना आदि फायदा होगा। रतनू ने कहा कि धीरे धीरे ग्रामीण जन में भी स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढी है।

उन्होने समय समय पर बाड़मेर जिले के लोगों को अवगत करवाया कि ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन परियोजना के पूर्ण होने से ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार आएगा। इससे हमारा गांव साफ.सुथरा होगा। गलियों व नालियों में गंदा पानी जमा नहीं होगा। इसी तरह गलनशील व अगलनशील कचरे का उचित निपटान होगा।

बाड़मेर जिले के दूरस्थ इलाकों के ग्रामीणों ने बताया कि ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान के लिए गांवों में बनाए गए ग्राम सचिवालय पहले वीरान पड़े थे। यहां न तो कोई जिला मुख्यालय से जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी आकर लोगों की समस्याएं सुनता है और न ही यहां ग्राम पंचायत पर बैठक होती थी। लिहाजा जिले में लाखों करोड़ों रुपये की लागत से बनाए गए ये ग्राम सचिवालय महज सरकारी कागजों तक सीमित रह गए थे। जबकि उम्मीद की जा रही थी कि सरकार की यह योजना सिरे चढ़ी तो निश्चित तौर पर ग्रामीणों को रोजमर्रा की समस्याओं से काफी हद तक घर बैठे निजात मिलेगी इस बात का बदलाव हमारे यहाँ पर पिछले तीन सालों में आप लोग भी देख सकते हो l

बाड़मेर जिले में कुछेक ग्राम पंचायतों के लिए नई बिल्डिंग बनवाई गई तो कुछ पुरानी बिल्डिंग में रंगरोगन कराकर शुरू कर दिया । पचायत समितियों के दौर के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने बताया कि वातानुकूलित कमरों में बैठकर संतरी से लेकर मंत्री तक यह प्रचार किया गया था कि इन ग्राम सचिवालयों में ग्राम पंचायत के सभी कार्यों के साथ-साथ संबंधित पटवारी, ग्राम सचिव, बिजली बोर्ड, कृषि विभाग, जनस्वास्थ्य विभाग सहित कई अन्य विभागों के अधिकारी व कर्मचारी आकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनेंगे और उनका निदान कराएंगे। इनके बनने के बाद लोगों को जिला मुख्यालय या फिर संबंधित विभाग के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। उन्हें घर बैठे बेहतर प्रशासनिक समाधान मिलेगा। इसके अलावा और भी कई प्रकार की बातें की गई थीं। लेकिन ये दावे महज कागजी साबित हुए और ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। जिले में बनाए गए सभी ग्राम सचिवालय पहले वीरान पड़े थे। इनमें कोई अधिकारी व कर्मचारी नहीं जाता। ऐसे में यह सचिवालय धीरे-धीरे खंडहर में भी तब्दील होने लगे और जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा दूरस्थ इलाकों में होने के कारण ही इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता था आज वही पर सैकड़ों लोगों की हलचलों को देख कर अलग तरह की खुशी मिलती है ।

ईन्जिनियर बी एल शर्मा ने ने बताया कि जिस मकसद से इन्हें गावो में बनाया गया था वो बेहतर था। ग्रामीणों को घर बैठे प्रशासनिक सुविधाएं मिलती औ उनकी मूलभूत समस्याओं का जल्दी ही समाधान भी होता। लेकिन इस योजना पर अमल तो किया ही नहीं गया। सरकार केवल कागजों में योजना बनाने तक सीमित है। गांवों में सबसे ज्यादा बिजली पानी सड़क आदि की समस्याएं रहती हैं। इनको मौके पर सुनकर ठीक किया जाता तो इससे बेहतर कुछ नहीं होता। लोगों को अब भी अपनी समस्याओं के निदान के लिए जिला व तहसील स्तर के कार्यालयों में जाकर गुहार लगानी पड़ती है। इससे पैसा व समय दोनों की हानि होती है।

जागरूक भाजपा नेता रमेश सिहं इन्दा ने बताया कि बाड़मेर जिले में ग्राम सचिवालय बनाए गए हैं, इनमें सरपंचों को बैठकर आमजन का काम करना चाहिए। अन्य विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों, जिनकी ड्यूटी गावों में लगाई गई थी उन्हें वही पर जाना चाहिए। यह एक अच्छी सरकारी योजना है, लेकिन आजकल हर विभाग में स्टाफ की कमी से कहीं न कहीं यह योजना जरूर प्रभावित हो रही है।

– राजस्थान से राजूचारण

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