आपकी खबरें दम तोड़ रही है आजकल‌….. लोगों का एक ही सवाल

भाई साहब,आपकी खबरें कौनसे चैनल्स – समाचार पत्रों में आएगी ?

बाड़मेर/राजस्थान- हाथ में अच्छा सा मोबाइल – माईक और सोशल मिडिया का कार्ड गले में डाले यह हमारे जमात वाले आजकल आपको देखते ही झट से दौड़कर आऐंगे और कवरेज करना शुरू कर देंगे, और आप भी पुरे स्वाभिमान के साथ घंटों तक मोबाइल से लैस काले कलूटे माइक पर अपनी समस्याओं का दुखड़ा गाते हुए नजर आते है। इसके तुरंत बाद, वह आपके मोबाइल पर एक लिंक भेज देंगे। इस लिंक को खोलने पर आपको आपकी खबरें सुनहरे सपनों के साथ दिख जाती है। चलो, लिंक खोलकर आपकी खबर को आपने देख लिया,,, लेकिन क्या मोबाइल फोन पर जो आ रही है वो टीवी चैनलों पर दिखाए जाने वाले समाचार चैैनल्स और छपकर आने वाले समाचार पत्रों में आपकी खबर आई, या फिर
फिर नहीं न,,,। तो आपकी खबर कहां पर खो गई ? कहीं आपकी खबर सपेरे की टोकरी में बंद उस सांप की तरह तो नही हो गई ? जैसे सांप का जहर खुद सांप के लिए जीवन अमृत होता हैं, किन्तु सपेरा अपने स्वार्थ के लिए उस सांप के दांत तोड़कर जहर रूपी जीवन अमृत को बेकार कर देता है। ठीक उसी तरह आपकी खबर का पहली बार सामने आना बहुत पावरफुल होता है,,,।

किन्तु सोशल मिडिया वाले आपकी खबर को पकड़कर उसमें से पहली बार छपने के लायक जो बात होती हैं उसे सोशल मिडिया पर डालकर उसका अस्तित्व ही खत्म कर देते है। इसके बाद सोशल मिडिया पर वायरल आपकी खबरों को कोई भी न्यूज चैनल्स और कोई भी समाचार पत्र, प्रसारण करने, छापने के योग्य नही मानता है। इसलिए सोशल मिडिया में लिंक के माध्यम से आपको दिखाई जाने वाली खबर अखबारों में छपने से पहले ही अपना दम तोड़ देती है।

दफ्तर सरकारी हो या फिर निजी, अधिकारी, कर्मचारी, विधायक, सांसद, नेता या मंत्री संत्री, हर कोई आजकल सोशल मिडिया का लाॅगो लगे माईक-मोबाइलो के सामने आमजन की समस्याओं से लेकर हमारे देश के खुफिया तंत्र तक की महत्वपूर्ण बात करते है। लेकिन इस बात का प्रकाशन और प्रसारण कहा पर होता है ? यह किसी को भी नही मालूम । फिर भी घंटो तक मोबाइल-माईक पर बोलते बतियाते हुए नही थकते। तो हम बताते हैं कि आपका यह महिमामंडन कहीं किसी न्यूज पेपर में नही छपने वाला। न ही किसी न्यूज चैनल्स पर प्रसारित होने वाला। फिर काहे घंटों तक मोबाइल-माईक पर इलोजी के विवाह गीत गाते नजर आते है, जो विवाह कभी होना ही नही है।

वास्तव में यह चिंता का विषय है, कि हमारे देश के नेता, मंत्री संत्री, अधिकारी और जनता को इतनी भी पहचान नही हैं कि सामने जो मोबाइल माइक लेकर सवाल पुछ रहा हैं वो आखिर हैं महानुभाव कौन ?

आपको बता दे कि पत्रकार वह जो किसी समाचार पत्र और समाचार चैनल्स के लिए खबर कर रहा है। न कि वह व्यक्ति जो खुद के सोशलमीडिया पेज के लिए सबको बुद्धु बनाकर अपने व्यूअर का आकड़े तो बढ़ा लेता हैं किन्तु सम्बंधित बात, योजनाओं, जानकारी या समस्याओं का समाधान करने के लिए वास्तविक मंच तक पहूंच ही नही पाती। ऐसे में सोशल मीडिया के पेज वाले मोबाइल-माइक के आगे घंटो तक अपनी बात रखने का क्या होगा फायदा।

आजकल तो वैसे भी अधिकारियों, नेताओं, मंत्री संत्री, और जनता जनार्दन सबकी आदत हो गई हैं कि उनकी बात सोशल मिडिया वाले ही कवरेज करे। उसके बाद उस बात, समस्याओं का जब समाधान नही हो पाता हैं तो सारा दोष मिडिया वालों पर डाल देते हैं कि मिडिया वालों ने हमारी समस्याओं का समाधान सरकार से नही करवाया, मिडिया वाले लोगों ने हमारी पैरवी अच्छे तरीके से नही की, मिडिया वाले आजकल बिक गया है,,, तो अरे बाबा,,, आपने अपनी बात और समस्या, मिडिया को कब बताई थी ? आपने जो भी बताया था, जिसे भी बताया,,, वो तो मिडिया वाले थे ही नही,,,। फिर आप सुबह – शाम हाकरो के पास जाकर सारे अखबारों को टटोलते है,,, सारे न्यूज चैनल्सस दनभर आंखें फ़ाड़ फ़ाड़ कर देखते है,,, और गुस्सा होकर आखिरकार माथा पीट लेते हो कि हमारी खबर तो आई ही नही,,, तो जनाब आपकी खबर आएगी भी कहां से,,,?

आपको तो हमेशा सोशल मिडिया वाले पत्रकार ही नजर आते है। वास्तविक रूप से पत्रकारों को तो आप शायद पहचानते तक नही होंगे,,, यह गलती भी आपकी ही है, क्योंकि आप समस्याओं का समाधान करने से ज्यादा हाथो हाथ मोबाइल पर आने की होड में लगे रहते हो,,, और आपको सामने वाला एक लिंक भेज कर खुश कर देता हैं कि लिंक खोलकर अपनी खबर देख लो,,, हम पुछते है,,, यह बताओं कि यह जो लिंक खोलकर आप अपनी खबर देखते हैं, उस लिंक को हमारे प्रधानमंत्री,
मुख्यमंत्री या फिर कौनसा सरकारी अधिकारी कर्मचारी भी आपकी तरह लिंक खोलकर देखेंगे क्या ? मुख्यमंत्री, सचिवालय के अधिकारियों, प्रधानमंत्री , कार्यालय में , जिला मुख्यालय पर विराजमान कलेक्टर साहब, एसपी आपकी तरह लिक खोल खोल कर आपकी खबरे देखेंगे क्या ?

बिलकुल नही,,, आपकी समस्याओं का समाधान करने वाले अखबारों में छपी खबरों को ही देखेंगे,,,राष्ट्रिय, क्षैत्रिय, व लाॅकल न्यूज चैनल को देखेंगे । और उनकी नजर में जो खबर आएगी, उसी का समाधान करने के लिए उचित कार्यवाही भी करते है। किन्तु अब आपको कौन समझाए,,, आप के दिमाग में तो सोशल मिडिया का फोबिया वायरस पकड़ चुका है। यह वायरस भी एक बड़ी महामारी की तरह हैं जो आपकी बात को हमेशा बीच में ही मार देता है, सरकार तक, सरकारी अधिकारीयों, नेताओ तक पहूंचने ही नही देता है।

इसलिए सोशल मिडिया की गोदी से बाहर निकलकर आपके क्षेत्र में मौजूद
वास्तविक पत्रकारों, समाचार पत्रों और समाचार चैनलों तक हमेशा अपनी बात पहूंचाए। तभी आपकी मूलभूत समस्याओं का समाधान करने के लिए त्वरित सरकार द्वारा उचित कार्यवाही होगी। अधिकारी, नेता, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, यह सब आपकी बात को समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों में देखकर ही कार्यवाही के लिए आदेश जारी करेंगे। भाई, यह तो आपको तय करना हैं कि आपकी तरह लिंक खोलकर खबरे आपके अलावा दुसरा कोई नही देखता,,,। इसलिए वास्तविक पत्रकारों को पहचानों और सोशल मिडिया को कीक मारो, यह आपके हक की लड़ाई को सरकारी अधिकारी, नेताओं, मंत्री संत्री , मुख्यमंत्री, प्रधानमन्त्री कार्यालय तक पहूंचने ही नही देते। फिर आप ही कहोगे,,, जब आपकी बात सही व्यक्ति तक पहूंचेगी ही नही तो फिर समाधान किस बात का होगा।

साथ ही यह भी आपका मौलिक अधिकार हैं कि आपकी बात को, जो पत्रकार बनकर रिकाॅर्ड कर रहा हैं । उससे एक बार जरूर पुछिए,,, कि यह खबर टीवी पर कौनसे चैनल्स पर ओर कितने बजे आएगी। कौनसे समाचार पत्र में यह खबर छपेगी। तब आपको वह लिंक भेजने की बात कहेगा,,, बस आप समझ जायेंगे कि यह पत्रकार है कौनसा असली या फिर नक़ली। क्योंकि कोई भी पत्रकार आपको लिंक नही भेजेगा,,, भेजेगा तो अखबार ही भेजेगा या टिवी पर कितने नम्बर चैनल्स नम्बर चैनल पर कितने बजे खबर दिखाई जाएगी, इसकी आपकों जानकारी देगा। यही खबर सरकारी अधिकारी, नेताओं मंत्री संत्री करने देखेंगे और कार्यवाही के लिए आदेश करेंगे। तो फिर आप भी जागरूक पाठक ओर समझदार बनिए और आपके सामने खड़े फर्जी पत्रकार को सबक सिखाईये। क्योंकि यह फर्जी पत्रकार, सोशल मिडिया का लिंक भेज कर आपकी बात ओर आपकी समस्याओं का खुलेआम मखौल उड़ा रहा हैं और खुद के लिए सिर्फ ओर सिर्फ कमाई करने के लिए आंकड़े बढ़ा रहा है।

साथ ही इस बात को हमेशा सरकारी अधिकारी, नेताओं मंत्री संत्री भी अच्छे से जानते हैं कि सोशल मिडिया पर बात करने से वास्तविक बात उपर मुख्यमंत्री ,प्रधानमंत्री कार्यालय तक नही जा पाएगी तो ठिक रहेगा। क्योंकि अगर उपर तक बात जाने से अगर जनता का काम हो गया तो फिर कुर्सी से चिपके हुए अफ्सरों, नेता मंत्रीयों को आगे कौन पुछेगा।

इसलिए सभी अच्छे से जानते हैं कि सोशल मिडिया की खबरों पर कुछ ढंग का एक्शन नही लिया जाता । बावजूद इसके जानबूझ कर अफ्सर, नेता मंत्री, इन सोशल मिडिया वालों के मोबाइल माइको पर लम्बे चौड़े ब्यान जारी करते रहते हैं। और वास्तविक समाचार पत्रों और चैनलों से दूरीया बनाकर रखते है।। आप भी कई बार अखबारों में खबर के साथ जरूर पढ़ते है कि अमुक अधिकारी या फिर नेता मंत्री संत्री को इस सम्बन्ध में जानकारी के लिए फोन किया , लेकिन उन्होने फोन उठाया नही। तो आखिर क्यों,,, आया कुछ कुछ माजरा आपके समझ में,,,।

– राजस्थान से राजूचारण

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