आतंकवाद के खिलाफ फतवा जारी, बरेलवी उलमा बोले- इस्लाम शांति और अमन का धर्म

बरेली। बरेलवी उलमा ने आतंकवाद के खिलाफ फतवा जारी किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने बताया कि बहराइच निवासी डॉ अनवर रजा कादरी के पूछे गए सवाल के जवाब में यह फतवा दिया गया है। जिसमें कहा गया कि कुरान के मुताबिक एक व्यक्ति की हत्या पूरी मानवता की हत्या है। पैगंबर इस्लाम ने कहा है कि अच्छा मुसलमान वह है, जिसके हाथ, पैर और जुबान से किसी को नुकसान न पहुंचे। एक अन्य हदीस में कहा है कि अपने देश से प्रेम करना आधा ईमान है। आगे फरमाया है कि मुसलमान जहां भी और जिस देश में रहते हैं, उन्हें उस देश की धरती से प्रेम करना चाहिए। कुरान और हदीस की रोशनी में इस्लाम स्पष्ट रूप से आतंकवादी घटनाओं की निंदा करता है। फतवे मे हाफिज सईद के संगठन लश्कर-ए-तैयबा और मसूद अजहर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद आदि आतंकी संगठनों को गैर इस्लामी बताया। कहा गया कि जो लोग इस्लाम के नाम पर संगठन बना चुके हैं, जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद आदि और उनके माध्यम से लोगों की हत्या कर रहे हैं। ये सभी चीजें शरीयत की रोशनी में नाजायज व हराम हैं। इस्लाम शांति और अमन का धर्म है। समाज के हर वर्ग में शांति पसंद करता है। पैगंबर इस्लाम ने अपने पूरे जीवन में किसी भी अनुयायी, मुस्लिम या गैर-मुस्लिम की हत्या का आदेश नहीं दिया। इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो किसी भी अन्य धर्म के अनुयायियों के जीवन, संपत्ति और सम्मान की रक्षा करता है। यह सभी मनुष्यों के लिए न्याय का आदेश देता है। फतवे में सख्त भाषा का इस्तेमाल करते हुए लिखा गया है कि इस्लाम सभी लोगों के साथ अच्छा बर्ताव और अच्छा व्यवहार करने का आदेश देता है। इन दिनों, कुछ लोग कुरान और इस्लाम में ‘जिहाद’ के अर्थ को गलत तरीके से पेश करके इस्लाम के नाम पर एक-दूसरे को मारने की कोशिश कर रहे हैं। यह इस्लाम, कुरान और हदीस के सिद्धांतों के पूरी तरह से खिलाफ है। इस्लाम ने हमें एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होने के लिए भी कहा है। फतवे मे भारत मे सभी धर्मों के अनुयायियों से अच्छे संबंध रखने की बात कही गई है। आज के माहौल में समाज के बीच अच्छे संबंधों की जरूरत है। चाहे वह खुशी का मौका हो या गम का। हमें हर स्थिति में देश के साथ खड़ा होना चाहिए। एकता और भाईचारे का संदेश देना चाहिए। फतवे में यह भी कहा गया है कि पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को धर्म से जोड़कर नही देखा जाना चाहिए। बल्कि यह आतंकवादी हमला क्रूर, अत्याचारी और कायरतापूर्ण है। इसलिए हम आतंकवाद का कड़ा विरोध करते हैं और इसकी निंदा करते है।।

बरेली से कपिल यादव

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