राजस्थान/बाड़मेर – आजकल अमरीका के नेशनल ट्रांसपोर्ट सेफ्टी बोर्ड की वेबसाइट पर हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं के बारे में पढ़ रहा था। इसकी कई रिपोर्ट बताती है कि यातायात परिवहन के जितने भी माध्यम हैं उनमें तुलनात्मक रुप से हेलिकॉप्टर सबसे असुरक्षित वाहन है। इसके बाद भी हेलिकॉप्टर का प्रयोग करते ही हैं और अन्य कारणों से भी इसका इस्तेमाल होता है।इन रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कार से होने वाली दुर्घटनाओं से तुलना करें तो यह कम असुरक्षित है लेकिन अन्य विमानों की तुलना में सबसे अधिक असुरक्षित है
अमरीका में 1999 से 2019 तक यानी 20 साल में 3000 से अधिक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। इनमें से बड़ी संख्या एयर एंबुलेंस की है। इन्हें हेलिकॉप्टर इमरजेंसी मेडिकल सर्विसेज़ HEMS कहा जाता है। तमाम रिपोर्ट में हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं को HEMS और non HEMS में बांटा गया है। इन अध्ययनों के नतीजे बताते हैं कि एबुलेंस वाले हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की संख्या ज़्यादा है लेकिन दूसरे हेलिकॉप्टर की संख्या भी कुछ कम नहीं है।अमरिका में हर साल चार लाख मरीज़ HEMS के ज़रिए अस्पताल पहुंचाए जाते हैं। एक रिपोर्टर से पता चला कि जर्मनी में हेलिकॉप्टर वाले एयर एंबुलेंस का रिकार्ड ज़्यादा सुरक्षित है। ।
नेशनल ट्रांसपोर्ट सेफ्टी बोर्ड NTSB की साइट पर और गूगल में हेलिकॉप्टर को लेकर कई गंभीर रिपोर्ट हैं। मुझमें उनकी तकनीकि बारीकियों को समझने की क्षमता नहीं है फिर भी सरसरी तौर पर पढ़ने से यही समझ आया कि जिन कारणों से हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त होते हैं उनमें मानवीय भूल की भी बड़ी भूमिका है। जैसे पायलट पर पूरी तरह से निर्णय का अधिकार नहीं छोड़ा जाता है कि इस समय हेलिकॉप्टर उड़ेगा या नहीं। कमर्शियल कंपनियां उन पर दबाव डालती हैं कि उड़ा जा सकता है। मौसम भी एक कारण और तकनीकि तो है ही। रात में उड़ने के वक्त भी हेलिकॉप्टर काफी दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। एक रिपोर्ट में पढ़ने को मिला कि रात में होने वाली दुर्घटना में तकनीकि का कम रोल पाया गया है, नाइट विज़न का बड़ा रोल होता है।
यहां पर तो बहुत से लोग तकनीकि मामलों में दक्ष हैं, वही अगर इन रिपोर्ट को पढ़ें तो आम पाठकों को बेहतर तरीके से बता सकते हैं। कम जानने के कारण मुझसे चूक हो सकती है। मैंने इस मकसद से भी लिखा है कि किसी में जिज्ञासा उत्पन्न हो और वह बेहतर तरीके से सारी रिपोर्ट पढ़ कर लिखे जिससे इस सम्बन्ध में सभी को फायदा पहुंचे।
भारतीय सेना के इस सबसे सुरक्षित हेलिकॉप्टर की खूबियां कई हैं । ये दुनिया के सबसे उन्नत परिवहन हेलीकाप्टरों में से एक है। इस हेलिकॉप्टर को आर्म्स ट्रांसपोर्ट, फायर सपोर्ट, काफिले एस्कॉर्ट, पेट्रोल और सर्च-एंड-रेस्क्यू (SAR) मिशनों में भी तैनात किया जाता है। इसके साथ ही इसी तकनीकों की बात करें तो ये Shturm-V मिसाइल, S-8 रॉकेट, एक 23mm मशीन गन, PKT मशीन गन और AKM सब-मशीन गन से लैस है। इस चॉपर में हथियारों को निशाना बनाने के लिए आठ फायरिंग पोस्ट हैं। चॉपर की अधिकतम गति सीमा 250km/H और मानक रेंज 580km है। यानी जरूरत पड़ने पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है। यह हेलीकॉप्टर अधिकतम 6,000 मीटर की ऊंचाई पर उड़ सकता है।
वायुसेना के एक पूर्व अधिकारी की माने तो 1970 के दशक में लड़ाकू विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले काफी ज्यादा थे, लेकिन अब इनमें कमी आई है l उनका कहना है कि साल 1970 में लगभग 50 विमान क्रैश हुए थे, जबकि साल 1980 में इनकी संख्या 40 तक पहुंची. साल 1990 तक वायुसेना के दुर्घटनास्त होने के मामलों में और कमी आई और ये संख्या घटकर 30 तक पहुंच गई, लेकिन साल 2000 के बाद अब यह संख्या एक दर्जन से ज्यादा है l
फाइल फोटो…..