मुज़फ्फरनगर – परिवहन ,वन विभाग एंव पुलिस की संलिप्तता में हो रहा है जनपद में ओवर लोडिंग का खुला खेल । रात के अँधेरे में खूब दौड़ाये जा रहे है पेड़ों से भरे ट्रैक्टर ट्रालियां। बिना आगे पीछे नम्बरों के चलाए जाते है ट्रैक्टर ट्रालियां ताकि सड़क हादसे के वक्त इनकी पहचान न हो सके।
जनपद मु0 नगर में खुले आम वन विभाग की नाक के नीचे सैंकड़ों आरा मशीने खुली है जहां से रात के समय सैंकड़ों से भी अधिक की संख्या में पेड़ों से भरी ट्रैक्टर ट्रालियां एक जनपद से तीन तीन जनपदों को पार करते हुए हरियाणा में इन पेड़ों की सप्लाई हो रही है।
एक तो ओवर लोडिंग और दूसरा बिना नम्बर के ये वाहन सड़कों पर रात होते ही फर्राटा भरते हुए इतनी तेजी से जाते है कि अगर कहीं इनसे कोई सड़क हादसा हो जाए तो यकीन मानिए सामने वाले का तो भगवान ही मालिक है। ऐसा नही कि जिले के आलाधिकारी को इस मामले की जानकारी न हो,
जानकारी सभी को है लेकिन एक हरी टोपी वाले संघठन के आगे सभी अधिकारी नमस्तक हैं।
जनपद के भोपा थाना क्षेत्र के गंग नहर पुल से पहले तमाम अवैध आरा मशीने देखी जा सकती है जहां इन ट्रैक्टरों में लकड़ियाँ भरी जाती है तो वहीं गांव और कस्बों की अगर बात करें तो चरथावल, जानसठ आदि कस्बों में भी इसी तरह अवैध आरा मशीने चलाई जा रही है जिनमे से ये ट्रैक्टर ट्रालियां लकडिया और पोपलर ओवर लोड भरकर मु0 नगर देवबन्द ,सहारनपुर के रास्ते हरियाणा के पानीपत पहुँचाई जा रही है ।
यदि इन्हें कोई पुलिस कर्मी,वन विभाग कर्मचारी या परिवहन विभाग रोकने की कोशिश भी करता है तो यकीन मानिये ये एक प्रभाव शाली संघठन का रॉब इस तरह ग़ालिब करते है की मानो जिले में जिले के आलाधिकारियों की नही उस संघठन की ज्यादा चलती हो।
अब एक बड़ा और सबसे अहम सवाल जब यह ओवर लोडिंग वाहन सड़कों पर दौड़ते है और कहीं भूल वश इनसे कोई सड़क हादसा हो जाता है तो इनके चालक मोके से फरार हो जाते है और जब पुलिस इनके कागजात चैक करती है तो अधिकांश के तो कागजात भी नही मिलते ।
जबकि भाड़ों और ओवर लोडिंग के ये ट्रैक्टर लोग किसानो के बताते है और बिना कहीं टोल आदि चुकाए आगे निकल जाते हैं जबकि अगर परिवहन अधिकारीयों की माने तो इस तरह के काम में चलने वाले वाहन कॉमर्शियल वाहनों में आते है जिनपर पीली प्लेट लगी होनी लाजमी होती है लेकिन या तो सब कुछ दबाव और हर माह मिठाई के सहारे सब कुछ चलता है फिर चाहे इनसे किसी का ऐक्सिडेंट ही क्यों न हो जाएँ ।
रिपोर्ट भगत सिंह