बरेली। बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों मे बच्चों की उपस्थिति (हाजिरी) को डिजिटल बनाने की महत्वाकांक्षी योजना, तकनीकी खामियों के कारण शिक्षकों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है। एक तरफ जहां प्रधानाध्यापक विभागीय व्हाट्सएप ग्रुप पर सिस्टम की लगातार विफलता की शिकायत कर रहे है। वहीं दूसरी ओर बीएसए ने सख्त आदेश जारी कर दिया है कि बच्चों की डिजिटल हाजिरी न देने पर पूरे स्कूल स्टाफ का वेतन रोक दिया जाएगा। इस कार्रवाई की चेतावनी से हजारों शिक्षक परेशान हैं। इसको लेकर प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों और शिक्षक नेताओं ने गुरुवार की शाम चार बजे बीएसए कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन भी किया। कार्यालय का गेट बंद कर कर्मचारियों को बंधक बना लिया गया। करीब 2 घंटे तक हंगामा होने के बाद बीएसए दफ्तर पहुंचे और उन्होंने आदेश को निरस्त करने का ऐलान किया। तब जाकर शिक्षक शांत हुए। वेतन रोकने के पत्र से गुस्साए शिक्षक बीएसए दफ्तर पहुंचे। उस समय बीएसए दफ्तर मे नही थे। बीईओ दिनेश चंद्र जोशी आए और वार्ता विफल हो गई। गुस्साए शिक्षक धरने पर बैठकर बीएसए बुलाने की मांग करने लगे। जिलाध्यक्ष नरेश गंगवार कहा कि हम अपने वेतन के लिए आए है। वेतन दे दीजिए, हम घर चले जाएगे। मांडलिक मंत्री केसी पटेल ने कहा कि अधिकारी शिक्षकों की समस्या की अनदेखी कर रहे है। यूटा जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि शिक्षक और स्कूल को प्रयोगशाला बना दिया है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के महामंत्री सुनील शर्मा और महिला शिक्षक संघ महामंत्री राखी सक्सेना, शिक्षक नेता सीएल चौधरी, शिखा अग्रवाल, योगेश गंगवार, प्रेमपाल गंगवार, यूटा के जिला महामंत्री हरीश बाबू, कोषाध्यक्ष हेमंत कुमार आदि ने आदेश वापस करने की मांग उठाई। आक्रोशित शिक्षकों ने बीएसए दफ्तर के मेन गेट को बंद कर दिया। इस कारण कर्मचारी बाहर नही निकल पाए। आखिर बीएसए संजय सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने आदेश रद्द करने का ऐलान किया तब जाकर शिक्षक शांत हुए। हालांकि बीएसए ने स्पष्ट किया कि डिजिटल हाजिरी सीएम डैशबोर्ड की रैंकिंग का हिस्सा बनने जा रही है।।
बरेली से कपिल यादव
