आंचलिक पत्रकारिता के कर्मयोगी को दी श्रृद्धांजलि

आजमगढ़ -चार दशक तक आंचलिक पत्रकारिता के सच्चे कर्मयोगी बाबूजी की छठवीं पुण्यतिथि पर रणतूर्य परिवार ने उनके व्यक्तिव और कृतित्व को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दिया।
ठण्डी सड़क स्थित विवेकानन्द कालोनी में रणतूर्य के प्रधान कार्यालय में मीडियाकर्मी प्रबुद्धगण, परिवार के सदस्यों ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दिया। उनके बड़े पुत्र कृष्ण कुमार सिंह ने पत्रकार पिता के चित्र पर पुष्पमाला अर्पित कर कहा कि बाबूजी जीवनपर्यन्त ग्रामीण क्षेत्र की समस्याओं और निष्पक्ष पत्रकारिता द्वारा समाज में योगदान देते रहे। अपनी कलम के द्वारा देशकाल के ज्वलन्त मुद्दों पर बेबाक राय रखते रहे। वह ग्रामीण अंचल की पत्रकारिता के सजग प्रहरी थे।
बाबूजी के सान्निध्य में पत्रकारिता का ककहरा सीखे उनके पुत्र देवेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रेस कार्यालय में वह पिता की भूमिका से कोसों दूर एक पत्रकार सम्पादक के रूप में होते और कहा करते थे कि ‘‘मैं यहां तुम्हारा पिता न होकर समाज और देश का एक जवाबदेह व्यक्ति हूँ। व्यक्ति की पहचान उसके रिश्ते से न होकर उसके कार्यों से होनी चाहिए। उनकी कार्यशैली का तरीका ऐसा होता था कि किसी समाचार अथवा विषय में कोई त्रुष्टि होती तो उसको दूर करने के साथ ही महत्वपूर्ण सुझाव भी देते और प्रेमपूवक समझाते।
प्रधान सम्पादक व सबसे छोटे पुत्र राजकुमार सिंह ने उनकी मुस्कराती तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा से शीश झुकाते हुए उन्हें श्रद्धांजली दिया और कहा कि बाबूजी दूरदर्शी, सामाजिक सरोकारों से जुड़े हुए जन पत्रकार के रूप में लोगों के हृदय में आज भी विराजमान है। उनके लिये पत्रकारिता एक मिशन रहा। ‘‘रणतूर्य’’ अखबार आज भी उनके मिशन के लिये जिन्दा हैं। समय के साथ आज और भविष्य में उनके विचारों और कार्यों को सफल बनाने में निर्बाध रूप से गतिमान हैं। आंचलिक पत्रकारिता के उद्देश्यों को पूरा करना ‘‘रणतूर्य’’ का उद्देश्य है। उनके द्वारा दिखाया गया रास्ता और विचार ही हमारे लिये ऊर्जा का स्रोत है। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे।
पत्रकार महेन्द्र सिंह ने उन्हें पिता, कुशल वक्ता, चिंतक, निर्भीक पत्रकार के रूप में याद किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में उन जैसा व्यक्तिव मिलना मुश्किल हो गया है।
श्रद्धांजलि सभा में एजाज जोगी ने बाबू जी के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित कर उनकी स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि वह एक कुशल पारखी, शिल्पी और सरलता की प्रतिमूर्ति थे। सहजता उनकी निधि भी जिसके द्वारा यह कठिन चीजों को सरल बनाने में सिद्धहस्त थे। उनकी शिक्षाएं हम सब के लिये सदैव मार्गदर्शक रहेगी। वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष दिवेदी ने कहा कि स्व धनुषधारी नये पत्रकारों के मार्गदर्शक की भूमिका हमेशा निभाते रहे। वरिष्ठ अधिवक्ता शत्रुद्धन सिंह ने कहा कि उनके चाचा स्व धनुषधारी का नाम पत्रकारिता जगत में हमेशा आदर के साथ लिया जायेगा। पत्रकार एसके सत्येन ने कहा कि उन्होंने पत्रकारिता का ककहरा बाबूजी से ही सीखा है। वरिष्ठ पत्रकार धर्मेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि पत्रकारिता की तकनीक बदल गयी है लेकिन मानदंड को नही बदलना चाहिए उनके द्वारा किये गए कार्यों के अनुरूप चलकर ही पत्रकारिता करना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।भाजपा नेता अमित तिवारी ने कहा कि वह सार्वजनिक जीवन की शुरूआत पत्रकारिता से ही किये और उनको बाबूजी का मार्गदर्शन हमेशा मिलता रहा है। डा प्रवेश सिंह ने कहा कि वह अपने चाचा धनुषधारी सिंह से शब्द बनाना सीखे है। उन्होंने कहा कि वह जो अपनी पहली किताब लिख रहे हैं उसका लोकार्पण वह चाचाजी के पुण्यतिथि पर ही करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ स्तम्भकार राजेन्द्र पाठक ने कहा कि बाबू धनुषधारी सिंह ने अपने संकल्पवान चरित्र से लम्बे समय तक इस जिले की पत्रकारिता को प्रभावित किया और वह कभी भुलाये नहीं जा सकेंगे।
इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख लोगों में भाजपा नेत्री संगीता तिवारी, पत्रकार संदीप अस्थाना, मिथिलेश सिंह, राधेश्याम सिंह, धर्मेन्द्र श्रीवास्तव सहित रणतूर्य परिवार के समस्त स्टाफ व पारिवारिक सदस्यों ने स्व धनुषधारी सिंह जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करके उनको भावभीनी श्रद्धांजलि दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ पत्रकार अरविन्द सिंह ने किया।

रिपोर्ट-राकेश वर्मा आजमगढ़

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