बरेली। संतान की समृद्धि का पर्व अहोई अष्टमी इस बार 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह व्रत खासतौर पर महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र, स्वस्थ जीवन और समृद्धि की कामना से करती हैं। हिंदू धर्म मे परिवार और रिश्तों का विशेष स्थान है। जहां प्रत्येक संबंध की सुरक्षा और खुशहाली के लिए कई व्रत मनाए जाते हैं। ऐसे ही व्रत में अहोई अष्टमी का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसे माताएं अपनी संतान की रक्षा और उन्नति की कामना से करती है। बरेली के आचार्य बताते हैं कि अहोई अष्टमी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर रात में तारे निकलने तक व्रत रखती है और निर्जला व्रत करते हुए भगवान नाम स्मरण करें और शाम को तारों की छांव में अहोई माता के नाम से अर्घ्य देकर व्रत पारण करें। ऐसा माना जाता है कि अहोई अष्टमी का यह व्रत संतान के जीवन से जुड़ी सभी बाधाओं को दूर करता है। यह व्रत मातृत्व की शक्ति और संतान के प्रति अपार प्रेम का सुंदर प्रतीक है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि इस साल 13 अक्टूबर दोपहर 12:24 बजे से शुरू होकर 14 अक्टूबर की सुबह 11:09 बजे रहेगी। चूंकि अहोई अष्टमी का व्रत शाम को तारों के दर्शन और पूजा से जुड़ा होता है। इसलिए 13 अक्टूबर का दिन ही अहोई अष्टमी के रूप मे माना जाएगा। इस वर्ष अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:53 बजे से लेकर 7:08 बजे तक रहेगा। अहोई माता की गेरु चूना से निर्मित प्रतिमा अथवा तस्वीर पर गंगाजल से मार्जन करते हुए रोली का तिलक लगाएं। संभव हो तो लाल फूलों की माला अर्पण करें। दीपदान करें और गेहूं के सात दाने हाथ में लेकर कथा श्रवण करें। अहोई माता के भोग प्रसाद मे चना, हलवा, पुरी, मूली, सिंघाड़ा, गन्ना शुभ होता है। भोग लगाने के पश्चात क्षमा याचना करें।।
बरेली से कपिल यादव