अवनीश कुमार की पहल से होगा अब गिरिराज जी मुखरबिंद मंदिर का सौंदर्यीकरण

“समाजसेवा मेरे लिए केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक जुनून है। मैं हमेशा से मानता हूं कि समाज और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संवारने के प्रयास हमें एक बेहतर भविष्य की ओर ले जा सकते हैं।” यह कहना है नायब तहसीलदार और समाजसेवी अवनीश कुमार का, जिनकी प्रेरणा और पहल ने 19 जनवरी 2025 को गोवर्धन के जतीपुरा स्थित श्री गिरिराज जी मुखरबिंद मंदिर का सौंदर्यीकरण विश्व रिकॉर्ड बनाने में अहम भूमिका निभाई।

अवनीश कुमार ने इस परियोजना को एक समाजसेवी पहल के रूप में देखा, जिसका उद्देश्य मंदिर की भव्यता को निखारना और स्थानीय कला एवं संस्कृति को प्रोत्साहन देना था। उन्होंने स्थानीय कलाकारों को प्रेरित किया और उड़ान कलाकार समूह को इस कार्य के लिए एकजुट किया। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, मंदिर परिसर को भव्य दीवार चित्रकलाओं और मनमोहक सजावट से सुसज्जित किया गया।

Exclusive World Records के प्रतिनिधि डॉ. पंकज खटवानी ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि को प्रमाणित करते हुए कहा, “यह सौंदर्यीकरण केवल एक कलात्मक परियोजना नहीं है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय और उसकी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का प्रतीक है।”

अवनीश कुमार का कहना है, “मेरा उद्देश्य केवल मंदिर की सुंदरता बढ़ाना नहीं था, बल्कि स्थानीय कलाकारों को एक मंच प्रदान करना था। इस परियोजना से न केवल गिरिराज जी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व और अधिक बढ़ा है, बल्कि यह स्थानीय कला और संस्कृति के प्रति जागरूकता का भी माध्यम बना है। यह रिकॉर्ड केवल हमारा नहीं, बल्कि पूरे समुदाय की उपलब्धि है।”

Exclusive World Records ने पहले भी देशभर के प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों को मान्यता दी है। इनमें गोल्डन टेंपल, अमृतसर, ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर (राजस्थान), खाटू श्याम जी मंदिर, सीकर (राजस्थान), सालासर बालाजी मंदिर, राजस्थान, और नानकमथा गुरुद्वारा, उत्तराखंड जैसे प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल शामिल हैं। अब श्री गिरिराज जी मुखरबिंद मंदिर का नाम इस सूची में शामिल होना इस बात का प्रमाण है कि स्थानीय धरोहरों को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

अवनीश कुमार की इस पहल ने स्थानीय प्रशासन और जनता के बीच एक सकारात्मक संदेश फैलाया है। उन्होंने इस परियोजना के माध्यम से यह दिखाया कि जब कला, संस्कृति और समाजसेवा का संगम होता है, तो असाधारण उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। इस विश्व रिकॉर्ड ने न केवल मंदिर की सुंदरता को निखारा, बल्कि समाज में सामूहिक एकता और सांस्कृतिक गर्व की भावना को भी मजबूत किया।

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