पत्रकारों की हत्या अब आम बात हो गयी है।राज्य कोई भी हो हर जगह अपनी आबाज को बुलंद करने बालों की हत्यायें देखने को मिल रही हैं वर्तमान में उतर प्रदेश में पिछले कुछ समय में पत्रकारों की हत्याओं के लगातार कई मामले सामने आये हैं।
प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया संगठन काफी चिंतित है। इसको लेकर आज एक बैठक का आयोजन किया गया ।बैठक में अपनी बात रखते हुए संगठन के अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि गाजियाबाद पत्रकार हत्याकांड से साथी अभी उबरे भी नहीं थे कि बलिया में पत्रकार रतन को दौड़ाकर गोली मार दी गई।पत्रकार साथियों के दबाव में सरकार और प्रशासन हरकत में आया और जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई की और मुआवजे की भी घोषणा की।
आखिर कब तक पत्रकारों की हत्यायें होती रहेंगी और मुआवजा देकर सरकार इतिश्री करती रहेगी।
ऐसे मामलों में मुआवजा और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई इसका स्थाई हल नहीं हो सकता। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए देश में पत्रकार सुरक्षा कानून का होना अब आवश्यक हो गया है।अब केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार को भी जबाब देना होगा कि क्यों पत्रकारों की हत्याओं पर रोक नहीं लग पा रही। क्यों सरकार पत्रकार सुरक्षा कानून लाने में देरी कर रही है।क्या पीड़ित पत्रकार के परिजनों को मुआवजा देकर इतिश्री करने से ही सरकार के सभी दायित्व पूरे हो जाते है। इस तरह पत्रकारों की लगातार हत्याओं से पत्रकारिता भी प्रभावित होती है।
अब समय आ गया है कि पत्रकारों को एकजुट होने का।क्योंकि हमारी एक जुटता ही अब हमारा जीवन बचा सकती है।यदि समय रहते अब भी हम नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं जब पत्रकारिता का भविष्य ही दांव पर लग जायेगा। जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया सरकार से मांग करती है कि जल्द से जल्द पत्रकारों की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जायें ।