बरेली- पूरी दुनिया में एक अनोखी मिसाल कायम करने वाले धन धन अनोखे अमर शहीद बाबा दीप सिंह जी का जन्म उत्सव गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब संजय नगर मैं बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। अभी तक के इतिहास में मात्र यह ही ऐसे योद्धा थे जिन्होंने अपने एक हाथ पर कटा हुआ अपना शीश रखा एवं दूसरे हाथ में खण्डे की धार से दुश्मनों को पिछाड़ते हुए। तरणतारन साहिब से अमृतसर तक का सफर तय किया। श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने अमृत छका कर ऐसी शक्ति पैदा कर दी कि उनके द्वारा उच्चारण कथन ज्यो तो प्रेम खेलन का चाओ, सिर धर तली गली मेरी आओ। भाव था की अगर सिक्खी के मार्ग में खेलने का चाव है तो सिर को हथेली पर रख कर आना होगा। को सत्य करके दिखा दिया शायद रहती दुनिया तक ऐसा कोई भी शक्श नहीं कर पाएगा। 75 साल की उम्र में किसी योद्धा द्वारा ऐसा करने पर दुनिया चकित रह गई थी। बाबा दीप सिंह जी का जन्म 17 जनवरी 1682 मैं गांव बहु हिंडा पंजाब तरनतारन साहेब में माता ज्युनी जी की कोख से पिता भक्ता जी घर हुआ था। दीवान में सैकड़ों भक्तो ने हाजरी भरी एवं गुरु का लंगर छक कर गुरु साहिब की खुशियां प्राप्त कीं कार्यक्रम में एमपी सिंह, सतनाम सिंह, नरेंद्र सिंह, परमजीत सिंह, गुरमीत सिंह, बब्बू वीर जी, राणा ,अवतार सिंह राजा, गुरप्रीत सिंह अंकुर, अमरजीत सिंह आदि का विशेष सहयोग रहा।
– बरेली से सौरभ पाठक की रिपोर्ट