आगरा – मोहब्बत की नगरी आगरा के शाहगंज आजम पाड़ा निवासी मुस्लिम परिवार ने बकरे के चित्र वाला केक काटकर अनोखे अंदाज में मॉडर्न कुर्बानी कर मिसाल कायम करते हुए जीव हत्या रोकने की पहल की है मुस्लिम परिवार ने एक दूसरे को केक खिलाकर ईद तथा मॉडर्न तरीके से बकरे की जान बचाने की मुबारकबाद दी।
राष्ट्रवादी मुस्लिम परिवार के मुखिया नवाब गुल चमन शेरवानी ने बताया कि उन्होंने इस्लामिक फर्ज पूरा करने के लिए एक बकरी का बच्चा कुर्बानी करने की नियत से पाला था शाकाहारी मुस्लिम परिवार किसी ऐसी मदर्से में कुर्बानी करना चाहता था जहां अनाथ और गरीब बच्चे पढते हों कुर्बानी के लिए पाले गए बकरे से जब परिवार को लगाव और मोहब्बत हो गया तो परिवार के कदम कुर्बानी करने से डगमगाने लगे लेकिन इस्लाम मजहब में हर मुस्लिम पर कुर्बानी फर्ज है इसलिए मुस्लिम परिवार ने बकरे को बेच कर खुद से अलग कर कुर्बानी देते हुए रकम को दो गरीब कन्याओं की शादी में लगा दिया और मॉडर्न तरीके से जीव हत्या रोके जाने के उद्देश्य से बकरे के चित्र वाले केक को काट कर ईद मनाई बचपन से परिवार के मेंबर की तरह पाले गए बकरे से जुदाई भी इस परिवार के लिए बहुत बड़ी कुर्बानी है
राष्ट्रवादी मुस्लिम परिवार राष्ट्र गीत वंदे मातरम तथा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा प्रेम के चलते सुर्खियों में बना हुआ है राष्ट्रवादी परिवार के मुखिया नवाब गुल चमन शेरवानी ने पिछले दिनों राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हाथ में लेकर वंदे मातरम की धुन पर विश्व की ऐतिहासिक अनोखी शादी की थी तिरंगे के साए में वंदे मातरम की धुन पर निकली बरात का देश ही नहीं विदेश में भी विरोध हुआ था भारी विरोध के चलते चप्पे चप्पे पर पुलिस पीएसी तथा आरएएफ तैनात किया गया था आश्चर्यजनक बात तो यह है कि शेरवानी की पुत्री गुल सनम का जन्म पंद्रह अगस्त तो बेटे गुल वतन शेरवानी का जन्म छब्बीस जनवरी को हुआ शेरवानी के मकान का नाम भी तिरंगा मंजिल है जिसके दरवाजे दीवारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा कलर में की है स्वतंत्रता दिवस गणतंत्रता दिवस तथा वंदे मातरम की वर्षगांठ पर शेरवानी तथा उसका परिवार तिरंगे वस्त्रों में दीवानी चौराहा स्थित भारत माता की प्रतिमा पर नमाज अदा करता इसीलिए राष्ट्रवादी मुस्लिम परिवार को तिरंगा परिवार के नाम से जाना जाता है
उलेमाओं ने राष्ट्रवादी परिवार को मजहब से खारिज तो मुस्लिम कट्टरपंथियों ने तिरंगा परिवार को काफिर करार करार दे रखा है देश ही नहीं सऊदी अरब में भी शेरवानी के पुतले फूंके गए थे भारी विरोध के चलते शेरवानी के बच्चों को आसपास के विद्यालयों में दाखिला नहीं मिल रहा है जिसके चलते शेरवानी के बच्चे शिक्षा से वंचित चल रहे हैं शेरवानी के साथ अनेकों बार मारपीट हो चुकी है शेरवानी तथा उसका परिवार मुस्लिम कट्टरपंथियों की आंखों की किरकिरी बना हुआ है जिसके चलते शेरवानी ने अपने बच्चों को किसी नि संतान परिवार को गोद देने का निर्णय लिया था देशभर में करोड़ों परिवार निसंतान हैं लेकिन किसी भी निसंतान परिवार में शेरवानी से बच्चा गोद लेने के संबंध में संपर्क नहीं किया शहर के राष्ट्रवादी समाज सेवी तथा साक्षरता अभियान चलाने वालों का ध्यान भी इस परिवार की ओर नहीं है इस बात का राष्ट्रवादी मुस्लिम तिरंगा परिवार को मलाल है राष्ट्रवादी मुस्लिम परिवार ने जीव हत्या रोकने के उद्देश्य से अनोखी पहल की है इस मुस्लिम परिवार की अनोखी पहल क्या रंग लाएगी ये आने वाला वक्त ही बता सकता है।