सख़्ती के उपरान्त भी मिट्टी एवं बालू के खनन पर रोक तो दूर अंकुश तक नहीं लग पा रहा

लखीमपुर खीरी (मोहम्मदी)- न्यायालय एवं सरकार के आदेशो एवं सख्ती के उपरान्त भी मिट्टी एवं बालू के खनन पर रोक तो दूर अंकुश तक नहीं लग पा रहा है। सत्ता से जुड़े लोग एवं खनन माफियाओ की जुगलबन्दी के आगे सारे आदेश बेमानी साबित हो रहे है। तहसील के दोनो ब्लाको में गोमती एवं नहरो से बेखौफ होकर बालू का खनन किया जा रहा है। गत दिवस पसगवां ब्लाक की नहरों से हो रहे बालू खनन को पकड़ने जिला एवं तहसील के अधिकारियों ने मोहम्मदी के खननकर्ताओ के राजनीतिक दवाब में छापामार कार्यवाही कर सैकड़ो ट्राली बालू ग्राम छोलाबारी से बढ़इयां तक नहर के किनारे निजी भूमि पर पहाड़नुमा ऊंचे-ऊंचे टीलो में लगे पाये गए। जिन्हे खनन अधिकारी ने जब्ती की कार्यवाही कर इसी धन्धे से जुड़े लोगो की सुपुदर्गी में दे दी। एक ओर स्थानीय प्रशासन, जिला खनन अधिकारी, नहर विभाग के अधिकारी नहरों से बालू खनन को पकड़ रहे हैं वहीं पूरे तहसील क्षेत्र में रात-दिन बेखौफ होकर जेसीबी धरती का सीना चीर कर मिट्टी और गोमती से बालू खनन कर रही हैं। गतदिवस जिला खनन अधिकारी, नहर विभाग के अधिकारी एवं उपजिलाधिकारी ने मोहम्मदी के खननकर्ताओ के राजनीतिक दवाब के चलते कोतवाली पसगवां क्षेत्र में पड़ने वाली दो नहरो से खाकी के संरक्षण में बेखौफ होकर किये जा रहे बालू खनन पर अंकुश लगाने के लिये ग्राम छोलाबारी एवं बढ़इया गांवो में छापामार कार्यवाही की तो इन दो ही गांवो में बालू के नहर से खनन कर लगाए गए ऊंचे-ऊंचे पहाड़नुमा टीलो को देखकर दंग रह गए। सूत्रो की माने तो इन दोनो गांवो विशेष रूप से बढ़इया मे पूर्व सरकार के समय भी यहां एसडीएम एवं पुलिस के संरक्षण में बेखौफ बालू खनन होता था। यहां से दूसरे जनपदो तक बालू जाती थी। इन नहरो से बालू का अवैध खनन इस सरकार में भी जारी है इस खाकी का ही संरक्षण था साथ ही कुछ इलाकाई छुटभइया नेता भी बहती गंगा में हनक दिखाकर खनन करा रहे थे। पसगवां क्षेत्र में बालू के खनन से मोहम्मदी में ग्राम मोहम्मदी सरायं के कुछ भू-भाग का पट्टा कराकर तहसील क्षेत्र में पड़ने वाले गोमती के पूरे भाग से बालू खनन कराने वालो के कारोबार पर असर पड़ा तो उन्होने राजनीतिक दवाब बनाकर कोतवाली पसगवां के इन दोनो गांवो जो बालू के कुख्यात केन्द्र है पर छापामार कार्यवाही करा कर बालू के अवैध खनन पर अंकुश लगवाने का असफल प्रयास किया जो सफल होता नहीं दिखता।
सफेद बालू का काला धन्धा तो चरम सीमा पर है ही साथ ही मिट्टी खनन का कारोबार बालू की भाति कुटीर उद्योग का रूप धारण कर चुका है अभी तक मात्र तीन जेसीबी मशीने जो सहदेवा, दिलावरपुर एवं लक्हा के लोगो के पास थी अब इस समय सात जेसीबी मशीने रात-दिन धरती का सीना चीरकर कृषि योग्य भूमि को तालाब एवं गडढ़ो के रूप में बदल रही है। जिससे क्षेत्र की कृषि उपज पर खासा प्रभाव पड़ रहा है। पुराने कांग्रेसी जो इस बार नये भाजपाई बने है सहित कई अवसरवादी नेता इस धन्धे से जुड़े है और बेखौफ होकर रात-दिन मिट्टी का खनन कर रहे हैं। हर भट्टे पर हजारो ट्राली मिट्टी के ऊंचे-ऊंचे ढ़ेर इस बात का जीता जागता सबूत है कि भट्ठो पर कराया गया खनन बिना खनन विभाग की अनुमति एवं बिना शुल्क जमा किये किया गया है। हर भट्ठे पर खनन नियमो एवं राजस्व की चोरी कर किये जा रहे मिट्टी खनन पर जब गत दिनो उपजिलाधिकारी बीडी वर्मा ने नोटिस जारी कर पूछ लिया कि हर भट्ठे पर जमा हजारो ट्राली मिट्टी कहा से आयी तो भट्ठा स्वामियों में खलबली सी मच गयी। लेकिन दो चार दिन में ही सब कुछ ‘‘धान खरीद’’ की भाति माइनेज हो गया और बालू की भाति मिट्टी खनन भी बेखौफ जारी है।
– लखीमपुर से हसन जाज़िब आब्दी

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