बरेली। कोरोना संकट के बढ़ते ही तेजी से सैनिटाइजर की डिमांड बढने पर इनके दामों में भी इजाफा हो गया और मुनाफाखोरी बढ़ कर पांच सौ फीसद तक पहुंच गई। फुटकर मे पांच सौ रुपये लीटर तक मे सैनिटाइजर बिक रहा है। ऐसे में चीनी मिलों ने भी सैनिटाइजर बनाना शुरू कर दिया है। जिसे फैक्ट्री के बाहर काउंटर पर सौ से 120 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचा जा रहा है, जो बाजार में बिकने वाले सैनिटाइजर से 20 फीसद तक सस्ता पड़ रहा है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बार बार हाथों को सैनिटाइज करने की सलाह दी जा रही है। कोरोना की दूसरी लहर काफी खतरनाक है और मौतों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। लोगों में खौफ है तो सैनिटाइजर की डिमांड तेजी से बढ़ी तो कारोबारी भी इस मौके को भुनाने में लग गए। शासन-प्रशासन की ओर से सैनिटाइजर की कोई कीमत निर्धारित नहीं की गई है। जिसके चलते सैनिटाइजर के मनमाने दाम वसूले जा रहे है। आधा लीटर तक की शीशी खरीदने पर फुटकर में सैनिटाइजर की कीमत पांच सौ रुपए प्रति लीटर तक पड़ रही है। जबकि चीनी मिल सौ से 120 रुपए प्रति लीटर की दर से बेचा जा रहा है। इसके लिए नवाबगंज की ओसवाल शुगर मिल ने फैक्टरी के बाहर आम लोगों के लिए काउंटर लगवाया है, जिस पर 120 रुपये प्रति लीटर की दर से सैनिटाइजर बेचा जा रहा है। वही शाहजहांपुर के निगोही की चीनी मिल मे भी डालमिया के नाम से एक लीटर सैनिटाइजर की बोतल 110 रुपये प्रति लीटर की दर से बेची जा रही है। कोरोना काल में सैनिटाइजर बनाने वाली तमाम कंपनिया कुकुरमुत्तों की तरह उग आई है। जिनमें कई तो ऐसी हैं जिनका नाम भी नहीं सुना होगा। ये कंपनियां विक्रेताओं को रिझाने के लिये सैनिटाइजर की मूल कीमत से दोगुनी एमआरपी लिखकर ग्राहकों को ठगने की छूट दे रही है। एमआरपी पर सैनिटाइजर खरीदकर लोग ठगे जा रहे हैं। जबकि नामचीन दवा कंपनियों का सैनिटाइजर बाज़ार में उपलब्ध नहीं है। आदमी क्यों न ठगा जाए। एक ही कंपनी का सैनिटाइजर अलग अलग जगहों पर अलग रेट में बिक रहा है। जिस कंपनी के आधे लीटर की शीशी पर एमआरपी 250 रुपये लिखा है उसे आईवीआरआई रोड की एक दुकान पर 140 रुपये में बेचा जा रहा है। उसी कंपनी की उसी शीशी के राजेन्द्र नगर के शील चौराहा स्थित नामचीन मेडिकल स्टोर पर एमआरपी के हिसाब से 250 रुपए वसूले जा रहे है। सैनिटाइजर की डिमांड बढ़ते ही बाजार में नकली की भी भरमार होने लगी है। सैनिटाइजर को अल्कोहल व एलोवेरा से तैयार किया जाता है। मगर नकली सैनिटाइजर को लिकुएड कीटनाशक दवा में पानी और रंग मिलाकर तैयार किया जा रहा है। जिसका इस्तेमाल घातक है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 13 मार्च को इसेंशल कमॉडिटीज ऑर्डर 2020 पारित किया है जिसमे जोर दिया गया है कि मार्केट में बिकने वाले सैनिटाइजर की क्वालिटी बेहतर होना चाहिए। कोरोना वायरस से बचने के लिए सैनिटाइजर में कम से कम 60 प्रतिशत एल्कोहल होना आवश्यक है। अगर यह मार्केट में नहीं मिल रहा है तो आप इसे अपने घर में भी बना सकते है।।
बरेली से कपिल यादव