राजस्थान- मरूस्थलीय इलाके मारवाड़ जोधपुर की शान मोदी सरकार के तीसरे मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान दूसरी बार बनाएं गए रेलमंत्री और राजनितिज्ञ, पूर्व भारतीय प्रशासनिक अधिकारी अश्विनी वैष्णव द्वारा आधुनिक युग की आलीशान विधुत व्यवस्थाओं से लैस होकर देशभर में रेलगाड़ियों का संचालन बेहतर तरीके से किया जाता है। लेकिन हमारे भारत पाकिस्तानी सरहदों पर स्थित बाड़मेर जिले से केन्द्र सरकार के रेलमंत्रालय में कमजोर पैरवी के कारण ही ब्रॉडगेज पटरियां होने के बावजूद भी भारत पाकिस्तान सरहद की आखिरी छोर पर बसे हुए मुनाबाव रेल्वे स्टेशन ओर जिला मुख्यालय बाड़मेर से वाया समदड़ी -भीलड़ी रेल खंड सहित देशभर के अन्य राज्यों के लिए, उत्तर भारत व दक्षिण भारत को जोड़ने के लिए एक भी लम्बी दूरी की रेलगाड़ियों की सुविधाएं जवानों के लिए उपलब्ध नहीं है यह मार्ग गुजरात और राजस्थान को जोड़ने वाला नज़दीकी रेल मार्ग है। लेकिन एक भी सीधी रेलगाड़ी इस खंड से अमृतसर – चक्की बैंक, चेन्नई, जयपुर, दिल्ली, गोरखपुर, रामेश्वरम, हैदराबाद, तिरुपति बालाजी, विजयवाड़ा, त्रिवेंद्रम, कन्याकुमारी, राजकोट, गांधीधाम, कटरा माता वैष्णो देवी से लालगढ़ होकर फलोदी जैसलमेर बाड़मेर आदि देश के महानगरों के लिए उपलब्ध नही है जिससे इस खंड के बाड़मेर, जालोर, मोदरान, मारवाड़ भीनमाल, सांचोर, धनेरा, बनासकांठा, पाटन सहित अन्य राज्यों में बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र सहित जोधपुर सम्भाग के लाखों प्रवासियों को बहुत ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है लेकिन रेल्वे विभाग के द्वारा एक भी सीधी रेलगाड़ी की सुविधाएं इस खंड के यात्रियों को नही मिल रही है।
राजस्थान सहित देश भर के अनेकों सांसदों व सैकड़ों यात्री संघठनो के द्वारा बार बार बाड़मेर मुम्बई प्रतिदिन रेलगाड़ियों व बाड़मेर से चेन्नई,कन्याकुमारी के लिए साप्ताहिक रेलगाड़ी शुरू करवाने के लिए पिछले कई दशकों से मांग कर रहे हैं लेकिन बार बार उस प्रस्तावों पर रेल्वे अधिकारियों और राजनीतिक आकाओं की आपसी असहमति नही होने के कारण सारे प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। किसी जानकार सूत्रों ने बताया कि राजस्थान के सांसदों की रेलमंत्रालय में चलती तो फिर बाड़मेर जिले से एक दर्जन से ज्यादा लम्बी दूरी की रेलगाड़ियां धड़ल्ले से पटरियों पर दौड़ती हुई नजर आती लेकिन आजकल बाड़मेर जिले की जनता जनार्दन की मन की बात वाली आवाज को सुनता ही कौन है। अन्यथा बाड़मेर हावड़ा ब्रिज, मुम्बई और कटरा माता वैष्णो देवी वाया लालगढ़ फलोदी जैसलमेर बाड़मेर रेलगाड़ियां प्रतिदिन चलतीं रहतीं लेकिन दुखवा किससे कहें।
बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र के सभी मौजूदा विधायकों और सासंद सहित डबल इंजन की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भाजपा नेताओं के साम दाम दंड और भेदों से कौसो दूर रहकर अपने रेगिस्तानी भाईयों की सैकड़ों समस्याओं के साथ सबसे ज्यादा अभाव लम्बी दूरी की रेलगाड़ियों, हवाई सेवाओं, कहीं पर सड़क नहीं है और अगर सड़क है तो फिर सरकारी रोडवेज बसों का अभाव, बिजली, नहरों का मीठा पानी, चिकित्सा और शिक्षा से मरहूम, नशेड़ी और अपराधियों का बढता काला कारोबार, अवैध हथियारों के जरिये युवाओं को अपराध की काली दुनिया में धकेलने वाले माफियाओं,भारत पाकिस्तानी सरहदों पर उजड़े हुए डी एन पी क्षेत्र की बदहाली सहित सैकड़ों मुद्दों को सरहदी जिलों में आने वाले छोटे बड़े नेताओं के सामने समय समय पर अपनी मागे रखते हैं।
लेकिन कड़वा सच है कि आजकल भावी मुख्यमंत्री और सासंद बनने के सपनों में खोने वाले नेताओं को शायद भूलने की बिमारियों से ग्रस्त होने चाहिए अन्यथा विश्व पटल पर मशहूर सरहदी जिलों में दुबई अबुधाबी से भी बेहतर सुविधाओं मिलतें देर नही लगती ना लम्बी दूरी की कन्याकुमारी से बाड़मेर वाया कोकेन रेल्वे रेलगाड़ी सहित अन्य रेलगाड़ियाँ मिली और ना ही उत्तरलाई हवाई अड्डे पर हवाई सफर करने के लिए हवाई जहाज की सुविधाएं पिछले कई सालों से चलती हुई मिलती और नेताओं को भी दिल्ली दरबार जाने के लिए दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर ना होना पड़ता l
संसार के मानचित्र में अपनी अलग पहचान बना चुके हाईटेक प्रणाली के साधनों से लैस डुबाई आधुनिक अबुधाबी – दुबई की और अग्रसर काले सोने के नाम से राजस्थान के बाड़मेर जिले में कई भूमिगत खनिज पदार्थो के मिलने के बावजूद भी बाड़मेर जिला आज भी विकास के अभाव में शायद घुट घुटकर जी रहा है। थार की धरती को चीरकर निकलने वाले खनिज पदार्थो से केन्द्र और राज्य सरकार के राजस्व कोष को धन लक्ष्मी का धनकुबेर खजाना दोनों हाथों से दिनोदिन बढावा दे रहा है ।
राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा बाड़मेर जैसलमेर जिले के विकास के कई लुभाने वाले वादे करने के बावजूद भी बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र आज भी विकास की महत्वपूर्ण जैसलमेर भाभर वाया बाड़मेर पटरी सहित जैसे देश-भर के अन्य राज्यों के लिए हमारे सरहदी इलाकों की सुरक्षा में तैनात फ़ौजी भाइयों, भारतीय सेना के जवानों और प्रवासी राजस्थानियों के लिए लम्बी दूरी की रेलगाड़ियों ओर हवाई सेवाओं से आज़ भी आजादी के अमृत महोत्सव से कोसों दूर है। पिछले कुछ सालों से जिले में होने वाले किसी भी अपराधों और सडक हादसे में ओछी राजनीति करने वाले लोगों का हुजूम एक दम से मौनी बाबा की तरह मौन क्यों है यह बहुत गभीर बात है दुबई बनने वाले बाड़मेर जिले के लोगों की राजनीति को तराशने से पहले आम आदमी के लिए हवाई जहाज और रेलगाड़ियाँ का ही धरातल पर अभाव क्यों ये सिर्फ अपने मताधिकार का प्रयोग आपके लिए करें इससे ज्यादा कुछ नहीं लगता है❓
– राजस्थान से राजूचारण