साहित्य वही अच्छा है, जिसे आम व्यक्ति भी समझ सके – मीनू खरे

बरेली। साहित्यक संस्था शब्दांगन के तत्वावधान में राजकीय पुस्तकालय पर नवगीतकार रमेश गौतम की दूसरी काव्य कृति बादल फेंटे ताश का विमोचन आकाशवाणी की निदेशक सुश्री मीनू खरे के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मोहन चंद्र पांडे मनुज और डा. किरन कैथवाल ने वाणी वंदना से शुरू हुआ। शब्दांगन के उपाध्यक्ष डा. अवनीश यादव ने दोहा संग्रह बादल फेंटे ताश की समीक्षा प्रस्तुत की और कहा कि रमेश गौतम ने अपने दोहों में भाषा की सहजता और शैली की सरलता का निर्वाह बड़ी कुशलता से किया है। इस अवसर पर रमेश गौतम ने कई दोहे सुनाये। उनका ये दोहा खूब पसंद किया गया-
” बहुत उलझनें साथ में, फिर भी नहीं उदास.
बच्चों की मुस्कान में, उत्सव रहते पास.”
मुख्य अतिथि निदेशक सुश्री मीनू खरे का फूलों की माला और उत्तरीय से स्वागत कर स्मृति चिन्ह और पेंटिंग भेंट की। सुश्री मीनू खरे ने कहा कि वे शब्दांगन संस्था द्वारा किए गए सम्मान से अभिभूत है। उन्होंने रमेश गौतम के दोहा संग्रह ” बादल फेंटे ताश ” की सराहना की और कहा कि जिस साहित्य को समाज का आमजन समझ जाये और उससे अपनत्व मानने लगे तो वही साहित्य सबसे अच्छा साहित्य माना जाता है। कार्यक्रम मे महामंत्री इंद्रदेव त्रिवेदी, विनोद गुप्ता, गुरविंदर सिंह, विशाल शर्मा, रामप्रकाश सिंह ओज, डा. दीपांकर गुप्ता, केएन दीक्षित, नीलिमा पाठक, डा. किरन कैथवाल, नीलम सक्सेना जायद, निर्भय सक्सेना, शमशेर बहादुर सक्सेना, मोहम्मद कासिम, प्रमिला सक्सेना, रमेश गौतम, सुरेश बाबू मिश्रा और एसके अरोड़ा सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार और समाज सेवी उपस्थित थे। कार्यक्रम का काव्यमयी संचालन महामंत्री इंद्र देव त्रिवेदी ने किया और सभी का आभार उपाध्यक्ष डा. अवनीश यादव ने व्यक्त किया।।

बरेली से कपिल यादव

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