कोंच(जालौन) – आज देश के अलग अलग हिस्सों में आज होलिका दहन मनाया गया, इस मौके पर ग्रामीण क्षेत्रों में भी सैकड़ों जगहों में भी होलिका दहन सम्पन्न हुआ। शहरों में तो अलग अलग तरह से होली का त्योहार मनाया जाता है वहीं ग्रामीणांचलों में होली के मौके पर खास गान “फाग” गाकर अनोखे ढंग से धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आज नगर कोंच में कई स्थानों पर व ग्रामीणांचलों में सैकड़ों स्थानों पर होलिका दहन का आयोजन हुआ, लोगों ने पूजन व परिक्रमा करके होलिका दहन को मनाया। जिसमे यदि प्रशासन की बात की जाए तो प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। कोतवाल सन्तोष कुमार सिंह, उपनिरीक्षक मनोज कुमार सिंह, दरोगा आर के सिंह दरोगा कमलनारायण दरोगा अब्बुबक्स खां सागर चौकी प्रभारी राजीव त्रिपाठी सुरही चौकी प्रभारी सुरेंद्र सिंह खेड़ाचौकी प्रभारी जितेन्द्र कुमार मंडी चौकी प्रभारी केदार सिंह दलबल सहित भ्रमण शील रहे। अतः होलिका दहन शांतिपूर्वक ढंग से सम्पन्न हुआ व प्राप्त जानकारी के अनुसार किसी भी तरह की अप्रिय घटना की सूचना प्राप्त नही हुई।
*जानें भारत में क्यों मनाया जाता है रंगों का त्योहार और क्या है होलिका दहन का महत्व-*
जीवन को रंगीन बनाने में रंगों का विशेष महत्व होता है, इसी कारण से होली का पर्व हर किसी का पंसदीदा होता है। यह पर्व सभी के जीवन में खुशियां और रंग भर देता है। जीवन को रंगीन बनाने के कारण इस पर्व को रंग महोत्सव भी कहा जाता है। होली के त्योहार को एकता ,प्यार और सद्भावना का प्रतीक भी माना गया है। यह एक पारंपरिक और सांस्कृतिक हिंदू त्योहार है।
परंपरागत रुप से होली के पर्व को बुराई पर अच्छाई की सफलता का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व हिंदुओं का महत्वपूर्ण पर्व है, मान्यताओं के अनुसार इस दिन होलिका जलाई जाती है और अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है। होली को मनाने के ऐसे तो कई कारण हैं लेकिन सबसे अधिक महत्वता पौराणिक तथ्यों को दी जाती है।
हिंदू कैलेंडर (विक्रम संवंत) के अनुसार होली महोत्सव फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। फाल्गुन को चंद्र मास भी कहा जाता है, इस माह के अंतिम दिन पर नए मौसम के स्वागत की खुशी में मनाया जाता है। इसी कारण से इसे मौसमीय त्योहार भी माना जाता है। होली शब्द ‘होला’ से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए भगवान का पूजन करना है। इस दिन नई और स्वस्थ्य फसल पाने के लिए पूजा की जाती है। होली का त्योहार होलिका दहन को भी इंगित करता है। माना जाता है कि जो भक्त प्रहलाद की तरह भगवान के प्रिय हैं उनकी रक्षा होगी और होलिका जैसे पापी हैं उन्हें दंडित किया जाएगा।
होली उमंग और उत्साह का त्योहार माना जाता है, इस दिन भगवान विष्णु के भक्त व्रत करते हैं और होलिकादहन के बाद व्रत पारण करते हैं। पवित्र अग्नि में विष्णु के नास से आहुति दी जाती है। होली का पर्व भारतवर्ष में अति प्राचीनकाल से मनाया जाता आ रहा है। इतिहास की दृष्टि से देखें तो यह वैदिक काल से मनाया जा रहा है। हिंदू मास के अनुसार होली के दिन से नए संवत की शुरुआत होती है। इन सभी कारणों से रंगोत्सव मनाया जाता है। नरसिंह रुप में भगवान विष्णु ने इस दिन अवतार लिया था और हिरण्यकश्यप नामक महासुर वध करके भक्त प्रहलाद को दर्शन दिए थे। इस दिन रंग लगाकर सभी लोग आपस में खुशियां बांटते हैं।
– अभिषेक कुशवाहा के साथ रामनरेश राठौर