सात दिवसीय श्री मद्भागवत ज्ञान यज्ञ का पूर्णाहुति के साथ हुआ समापन

आजमगढ़- कन्धरापुर क्षेत्र के मिरियां गांव में चल रहे सात दिवसीय श्री मद्भागवत ज्ञान यज्ञ का समापन पूर्णाहुति के साथ हुआ। सोमवार को भंडारे में हजारों की तादाद में भक्तों ने भगवान के प्रसाद को ग्रहण किया। जो देर रात्रि तक चलता रहा। समूचा क्षेत्र भक्तिमय जयकारों से गुंजायमान रहा। भागवत कथा के समापन पर काशा से पधारे कथावाचक श्री श्री 1008 व्यास श्रीकान्त जी महराज ने रूक्मिणी विवाह व सुदामा के चरित्र का वर्णन किया। उन्होने कहाकि रूक्म देश की राजकुमारी रूक्मिणी का विवाह शिशुपाल नामक क्रूर राजा के साथ हुआ था, लेकिन वह भगवान श्रीकृष्ण का चाहती थी। रूक्मिणी के आमंत्रण पर ही श्रीकृष्ण ने शिशुपाल और रूक्म के 10 हजार राक्षसों को परास्त करके रूक्मिणी के साथ विवाह किया था। यह श्रीकृष्ण के पौरूष का सबसे बड़ा परीक्षण है। उन्होने कहाकि भगवान श्री कृष्ण का रूप इस तरह लुभावना है कि शिशुपाल के सभी सैनिक मंत्रमुग्ध हो गये। कहाकि सच्चे प्यारे और भक्ति से ही उनका दर्शन संभव है। देवी रूक्मिणी श्रीकृष्ण का दिल और आत्मा से प्रेम करती थी, जिसके कारण उन्हे भगवान का दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते है। इसके बाद श्रीकृष्ण-सुदामा के प्रेम का वर्णन करते हुये कहा कि अगर रुक्मिणी हाथ नहीं रोकती तो श्री कृष्ण जी सुदामा को तीनों लोक दे देते। प्रभु अपने भक्तों के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तत्पर रहते हैं। इस संगीतमय प्रवचन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्य यजमान सच्चिदानंद राय ने भागवत आरती की। अंत में श्रीमद्भागवत कथा में जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुये आतंकवादी हमले में शहीद जवानों को श्रद्धासुमन अर्पित कर नमन किया गया। इस मौके पर श्रीकांत राय, रमाकांत राय, कमलाकांत राय, आनन्द राय, अजय राय, संजय राय आदि उपस्थित रहे।

रिपोर्ट-:राकेश वर्मा आजमगढ़

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