श्रावण मास: श्रद्धालुओं ने मंदिरों में किया जलाभिषेक, कांवड़ियों के जत्थे जल लेने के लिए रवाना

बरेली। सावन के पहले दिन शुक्रवार को मंदिरों मे हर-हर महादेव के जयकारों के बीच श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया। शहर में विभिन्न स्थानों से कांवड़ियों के जत्थे जल लेने के लिए हरिद्वार, कछला, ओमकारेश्वर आदि तीर्थ स्थलों के लिए रवाना हुए। तपेश्वरनाथ, वनखंडीनाथ, त्रिवटीनाथ, मढ़ीनाथ, धोपेश्वरनाथ, पशुपतिनाथ, अलखनाथ, सुरेश शर्मा नगर स्थिति शिव मंदिर, सतीपुर चौराहा स्थित शिव दुर्गा मंदिर, हरुनगला स्थित शिव मंदिर आदि। मंदिरों में भक्तों ने जल, तिल, दूध आदि से भोलेनाथ का अभिषेक किया। हालांकि, मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ कम दिखी। वही वनखंडी नाथ मंदिर के महंत केदारपुरी का कहना है कि कांवड़ सादगी से ले जाना चाहिए। कांवड़ यात्रा में डीजे का प्रयोग अधिक हो रहा है। कहा कि भक्ति जितनी सादगी से की जाए, हम ईश्वर के उतना समीप पहुंचते हैं। जिसमें पहला तरीका है वाचिक जप, जिसमें मंत्रोच्चारण बोलकर करते हैं। उपासु भक्ति, जिसमें केवल होंठ चलाकर मंत्रजाप करते है। आवाज नही आती व तीसरी भक्ति मानसिक भक्ति है, जिसमें हम मन में किसी विचार के बजाय केवल ईश्वर का ध्यान करते है। नाथ नगरी मे जोगी नवादा स्थित बाबा वनखंडी नाथ मंदिर श्रद्धालुओं के बीच प्रमुख आस्था का केंद्र है। मंदिर के महंत स्वामी सुधीर नारायण गिरी महाराज के अनुसार यह मंदिर काफी प्राचीन है। पौराणिक कथा के अनुसार द्वापर युग में द्रौपदी ने महादेव की तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर महादेव शिवलिंग रूप मे प्रकट हुए। मान्यता है कि शिवलिंग पर चढ़ाया जाने वाले जल से बने ताल में जो भी व्यक्ति नहाता है, उसके सभी तरह के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। महंत ने बताया कि वर्तमान मे मंदिर समिति प्राचीन मंदिर की इमारत हटाकर 131 फुट ऊंचा मंदिर बनवा रही है, जिसपर 21 फुट ऊंचा कलश तैयार होगा। महंत के अनुसार यहां का शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है। सुबह लाल, दोपहर में हल्के भूरे और रात में गहरे भूरे रंग में दिखता है। श्रृंगार के बाद शिवलिंग का रंग नीला हो जाता है।।

बरेली से कपिल यादव

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