शाहजहांपुर की बेटी ने वैज्ञानिक बन कर किया जिले का नाम रौशन!कई उपलब्धियां की अपने नाम

शाहजहाँपुर/बरेली – शाहजहाँपुर के ग्राम करौदी मदनापुर में जन्मी बरेली में रह कर शिक्षा प्राप्त करने बाली डा० सुनीता कुशवाहा ने बिहार को अपना कर्मक्षेत्र बनाया और पूरे बिहार में नाम रोशन किया। मूलता शाहजहाँपुर जनपद के निवासी लालता प्रसाद कुशवाहा की बेटी सुनीता कुशवाहा का जन्म ग्राम करौदी मदनापुर शाहजहाँपुर में हुआ था।उनके पिता लालता प्रसाद कुशवाहा बरेली में नौकरी करते थे। उनका परिवार उनके जन्म के बाद ही राजेन्द्र नगर बरेली में शिफ्ट हो गया। उनकी बेटी सुनीता कुशवाहा आज डा० सुनीता कुशवाहा कृषि विज्ञानं केन्द्र बाँका बिहार में वैज्ञानिक है।डा० सुनीता कुशवाहा उन महिलाओ में है जिन्होंने बाधाओं से लड़ते हुए बड़ा मुकाम हासिल किया डा० कुशवाहा के पिता बरेली रबड़ फैक्ट्री में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे। वर्ष 1998 में अचानक फैक्ट्री के बंद हो जाने से परेशानियों का पहाड़ परिवार पर टूट पड़ा परन्तु डा० कुशवाहा ने हार नही मानी स्कालरशिप और छोटे बच्चों को टियूशन पढ़ाने के माध्यम से अपनी पढ़ाई जारी रखी और आर्थिक तंगी से लड़ते हुए खुद को राष्ट्रीय एव अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों के योग्य बनाया। उन्होंने किसानो के लिए नई-नई तकनीकि के माध्यम से आय दुगनी करने की दिशा में सराहनीय कार्य हेतु डा० सुनीता कुशवाहा को सर्वश्रेष्ट प्रसार वैज्ञानिक के तौर पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय भागलपुर के द्वारा वर्ष 2017 में पुरस्कृत किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें केन्द्रीय कैबिनेट कृषि मन्त्री राधा मोहन सिंह के द्वारा दिया गया है डा० कुशवाहा को अभी तक बीस से अधिक राष्ट्रीय एव अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। पड़ोसी देश नेपाल में डा० सुनीता कुशवाहा को उत्कृष्ठ योगदान के लिए स्वर्ण पदक प्रदान किया गया डा० कुशवाहा ने अब तक एक लाख किसानो को प्रशिक्षित किया है। तीस से अधिक शोधपत्र 450 कृषि लेख 2 कृषि आधारित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। डा० कुशवाहा कई राष्ट्रीय एव अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओ के संपादक मण्डल की सदस्य है। डा० सुनीता कुशवाहा का कहना है। यदि महिलायें ईमानदारी और मेहनत से कार्य करे तब कोई भी मुकाम हासिल कर सकती है।

-देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा, प्रभारी बरेली मंडल

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