वसुंधरा के सहारे चुनावी नैया पार करने की तैयारी में लगे भाजपा आलाकमान

बाड़मेर/राजस्थान- पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा हाल ही संपन्न हुई ‘देव-दर्शन’ धार्मिक यात्रा के बाद से एक बार फिर एक्टिव मोड पर नज़र आ रही हैं। इधर उनके सक्रीय होने के साथ ही प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में राजे समर्थित भाजपा नेता- कार्यकर्ता भी उत्साहित दिख रहे हैं। सड़क से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स तक हलचलें बढ़ती देखी जा रही हैं इससे राज्य के भावी मुख्यमंत्रियों की दौड़ में शामिल भाजपा नेताओं की धड़कने बढ़ रही है। हालांकि इन सभी के बीच अब सभी की नज़रें गृह मंत्री अमित शाह के जयपुर दौरे के दौरान राजे से संभावित मुलाक़ात और आगामी पंचायत चुनाव में भूमिका पर टिकी हुई हैं ।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पाच दिसंबर को भाजपा जनप्रतिनिधियो के सम्मेलन के समापन में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने के लिए जयपुर आ रहे हैं। यदि इस कार्यक्रम में राजे की भी उपस्थिति रहती है, तो उनकी शाह से मुलाक़ात होना स्वाभाविक है। प्रदेश भाजपा में मौजूदा गुटबाज़ी और वसुंधरा समर्थित गुट की ओर से उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में सीएम चेहरा घोषित किये जाने की उठती मांग के बीच इन दोनों नेताओं की इस संभावित मुलाक़ात को काफी अहम मुद्दा माना जा रहा है।

गौरतलब है कि राजे भाजपा आलाकमान की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। ऐसे में वे दिल्ली प्रवास के दौरान कई बार गृहमंत्री अमित शाह से भी मिलती रहीं हैं। हालांकि पार्टी लाइन से हटकर व्यक्तिगत ‘देव-दर्शन’ कार्यक्रम के ज़रिये कथित शक्ति प्रदर्शन के बाद वसुंधरा राजे की अमित शाह से ये पहली मुलाक़ात दमदार होगी।

गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्तावित जयपुर दौरे को लेकर चर्चा इस बात की भी हो रही है, कि शाह सतीश पूनिया नेतृत्व की प्रदेश भाजपा के बुलावे पर आ रहे हैं। दरअसल, इससे पहले अमित शाह को बुलाकर राजे गुट शक्ति प्रदर्शित करने का मन बना चुका था। इसे लेकर फरवरी माह में हाड़ौती अंचल के वसुंधरा समर्थित नेताओं ने संयुक्त बैठक करके बाकायदा इस बारे में जानकारी भी दी थी। बताया गया था कि हाड़ौती में ही एक बड़ा कार्यक्रम करने पर विचार हुआ है जिसमें अमित शाह को बुलाया जाएगा। हालांकि ये कार्यक्रम नहीं हो सका।

पंचायत चुनाव में मौजूदगी पर सस्पेंस
पूर्व मुख्यमंत्री की बीते उपचुनाव और पंचायत चुनाव में गैर मौजूदगी चर्चा का विषय बनी रही थी। हालांकि उस दौरान उन्होंने अपनी पुत्रवधू की स्वास्थ्य सही नहीं होने का हवाला दिया था। अब जब पुत्रवधू के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और वे धार्मिक यात्रा कर चुकी हैं, ऐसे में क्या वे अब आगामी पंचायत चुनाव में पार्टी पक्ष में माहौल बनाती दिखेंगी या नहीं, इसपर सस्पेंस जरूर बना हुआ है।

हाल ही में संपन्न हुए उपचुनाव और पंचायत चुनाव में भाजपा को सत्तारूढ़ कांग्रेस के सामने मुंह की खानी पड़ी थी। जानकारों का मानना रहा कि इन चुनावों में वसुंधरा राजे की गैर मौजूदगी भी भाजपा के लिए हार की प्रमुख वजहों में से एक रही है। ऐसे में यदि आगामी पंचायत चुनाव में राजे चुनाव मैदान में नज़र आती हैं, तो परिणाम का भाजपा के पक्ष में होने की संभावना बढ़ सकती है।

गौरतलब है कि कोटा, बारां, करौली और श्रीगंगानगर में पंचायती राज चुनाव होने जा रहे हैं। कोटा संभाग में भवानी सिंह राजावत और प्रहलाद गूंजल सहित वसुंधरा समर्थित नेता खासा सक्रिय हैं। ऐसे में वसुंधरा राजे का प्रचार अभियान में उतरना काफी मायने रख सकता है।

– राजस्थान से राजूचारण

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