बरेली। लॉकडाउन में रोडवेज बसों के पहिए थमने से परिवहन निगम को नुकसान हो रहा है। पिछले दो सप्ताह से 650 से अधिक बसें खड़ी होने की वजह से निगम को हर रोज लाखों का घाटा हो रहा है। रोज हो रहे नुकसान से विभाग के अधिकारियों की चिंताएं भी बढ़ गई है। पहले से ही घाटे में चल रहे निगम के लिए यह बड़ा संकट है। कोरोना वायरस के सामुदायिक प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में परिवहन सेवाएं भी बंद हैं। परिवहन सेवाओं पर रोक लगने के बाद रोडवेज बसें भी रुकी हुई हैं। बरेली और रुहेलखंड डिपो रीजन के चारों डिपो की बसें 22 मार्च से बस अड्डे पर ही खड़ी हैं। बसें न चलने से रोडवेज की आमदनी भी ठप है। अकेले रुहेलखंड डिपो की प्रतिदिन आय 22 से 25 लाख है। पूरे रीजन में यह आंकड़ा 80 लाख से अधिक का बैठता है। इस हिसाब से 22 मार्च से अब तक निगम को 5 से 7 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया है। हालांकि निगम ने कर्मचारियों को मार्च माह की सैलरी का भुगतान दे दिया है मगर अब आगे की सैलरी पर संकट मंडराने लगा है। दबी जुबान में अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं कि 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन अवधि बढ़ती है तो रोडवेज को तगड़ी चपत लगनी तय है। आय जीरो होने की वजह से सैलरी पर संकट बढ़ेगा। बसें न चलने से घर बैठे चालक- परिचालक भी सैलरी को लेकर सशंकित हैं।
बसें न चलने से आय प्रभावित हुई है। रीजन के चारों डिपो की प्रतिदिन की औसत आय 80 लाख से ज्यादा की है। जो अब बिल्कुल जीरो हो गई है।
चीनी प्रसाद, एआरएम कार्मिक, रुहेलखंड डिपो
– बरेली से कपिल यादव