लॉकडाउन में सर्राफा बाजार बंद से करोड़ो का नुकसान, खरीदार और दुकानदार दोनों मायूस

फतेहगंज पश्चिमी, बरेली। अक्षय तृतीया के मौके पर सर्राफा कारोबार पर खूब धन की वर्षा होती थी। सर्राफे की दुकानें ग्राहकों से भरी रहती थी। परम्परा के अनुसार, लोग खूब खरीदारी करते थे। सोने के ब्रांडेड गहनों के साथ अन्य चीजों की बिक्री होती थी। पूरे जिले व कस्बे में करोड़ों रुपये का कारोबार एक दिन में होता था। परन्तु, इस बार कोरोना वॉयरस के चलते बाजार में सन्नाटा पसरा है। दुकानें बंद हैं। व्यापारी घरों में कैद हो गए। अक्षय तृतीय का पर्व नजदीक आ गया। ऐसे में दुकानें नहीं खुलने से कारोबारी से लेकर खरीदार तक मायूस हैं। लॉकडाउन में सब कुछ जहां का तहां रुका हुआ है। कोई भी व्यापारिक गतिविधि सर्राफा बाजार में नहीं दिख रही ऐसे में व्यापारिक प्रतिष्ठानों के शटर डाउन हैं। 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर्व है। माना जाता है कि इस दिन किसी भी प्रकार के किए गए शुभ कार्य का अक्षय फल मिलता है। बैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहते हैं। इस तिथि को अक्षुण्ण फलदायक कहा गया है। अक्षय तृतीया पर स्वर्ण आभूषण खरीदने समेत कई कार्य शुरू किए जाते हैं। कोरोना लॉकडाउन में सर्राफा कारोबार भी शामिल हैं। अक्षय तृतीया पर्व आने में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं, लेकिन किसी प्रकार की कोई गतिविधि नजर नहीं आ रही है। इस दिन होने वाले शादी-समारोह स्थगित किए जा चुके हैं। स्वर्ण आभूषण बिक्री के लिए किसी प्रकार का ऑनलाइन कारोबार शुरू नहीं किया गया। किसी प्रकार का कोई आर्डर नहीं मिला है। ऐसे में सर्राफा कारोबार पूरी तरह से लॉकडाउन हो गया है, जिससे सर्राफा व्यापारियों में निराशा छाई हुई है उन्होंने प्रशासन से मांग भी की है की सर्राफा को ही खोला जाए।
ग्राहकों को फोन से करेंगे संपर्क
कस्बे के शिमला रस्तोगी कहते हैं लॉक डाउन के चलते अक्षय तृतीया के पर्व पर दुकानें खुलना मुश्किल है। ग्राहकों के फोन ज्वैलरी के लिए आ रहे हैं। सभी ग्राहक परिचित हैं। कोशिश करेंगे कि उन तक होम डिलीवरी करा सकें। ग्रामीण इलाकों में होम डिलीवरी की सुविधा नही देंगे। प्रशासन को सर्राफ की दुकान को खुलवाना चाहिए।
पर्व पर रुपये निकाले, बाद में खरीदारी करें
कस्बे के प्रवीण गोयल का मानना है कि अक्षय तृतीया के पर्व पर लोग सोने की खरीदारी नहीं कर पाएंगे। ऐसे में लोगों से गुजारिश की है कि पर्व के लिए निकाले गए रुपयों को अलग रख दें। लॉक डाउन खत्म होने के बाद सोने-चांदी की खरीदारी को कर सकते हैं।
चारों ओर खुशहाली हो, तब है मजा
दीपक अग्रवाल कहते हैं किसी भी त्योहार की प्रासंगिकता तभी है, जब चारों तरफ खुशहाली हो। लॉक डाउन के चलते लोग परेशान हैं। उनके सामने खाने-पीने तक का संकट है। कोरोना वॉयरस का खात्मा हो, तब बाजार में भी रौनक लौट पाएंगे।।

– बरेली से कपिल यादव

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