बरेली। सोमवार को इस्लामिया इंटर कॉलेज के भव्य द्वार पर रजा का परचम लहराने के साथ ही उर्स-ए-रजवी का आगाज हुआ। इस्लामी नारों और कुरान की गूंजती आयतों के बीच सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी, आसिफ मियां व देश-विदेश आए तमाम उलमा की मौजूदगी मे दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खां ने परचम कुशाई की रस्म अदा की। इसके बाद फिजा मे आला हजरत की लिखीं नात व मनकबत गूंज उठी। उर्स मे शामिल होने के लिए दुबई, साउथ अफ्रीका, मलावी, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल के अलावा देश के कोने-कोने से जायरीन आए है। इस्लामिया मैदान का मुख्य गेट आला हजरत के दीवानों से भरा नजर आया। आला हजरत जिंदाबाद के नारों के बीच दरगाह प्रमुख मौलाना सुव्हान रजा खान (सुब्हानी मियां) ने सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां, सय्यद आसिफ मियां व देश-दुनिया से आए उलमा की मौजूदगी मे रात 8: 50 बजे परचम कुशाई की रस्म अदा की। दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि परचम कुशाई की रस्म से पहले आजमनगर से परचम का जुलूस रवाना हुआ। जुलूस तय रास्तों से होता हुआ दरगाह आला हजरत पर पहुंचा। दरगाह पर सलामी देने के बाद जुलूस वापस इस्लामिया मैदान पर पहुंचा। सोमवार रात 10 बजकर 35 मिनट पर आला हजरत के बड़े बेटे हुज्जातुल इस्लाम मुफ्ती हामिद रजा खान (हामिद मियां) के कुल शरीफ की फातिहा मुफ्ती जईम रजा व मुफ्ती जमील ने पढ़ी। मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने अपने खिताब में कहा कि शिक्षा के लिए आज प्रचार प्रसार किया जा रहा है, लेकिन हुज्जातुल इस्लाम ने वर्ष 1938 में मुरादाबाद में हुई एक बड़ी कॉन्फ्रेंस में मुसलमानों से अपने बच्चों को तालीम दिलाने पर जोर देते हुए अपने आप को आर्थिक रूप से मजबूत करने का आह्वान किया था। हम लोग देश की हिफाजत, आपसी सौहार्द व हिंदू-मुसलमानों में बढ़ी दूरियों को खत्म करने के लिए प्रयास करें। इसके बाद नातिया मुशायरा अहसन मियां की सदारत मे शुरू हुआ जो देर रात तक जारी रहा।।
बरेली से कपिल यादव