मोहर्रम त्यौहार नहीं, सब्र व इबादत का महीना:अहसन मियां

बरेली। माह-ए-मोहर्रम के साथ इस्लामी नए साल का आगाज होने को है। मोहर्रम का चांद नजर आते ही 21 या 22 अगस्त से इस्लामी नया साल 1442 हिजरी शुरू हो जाएगा। मोहर्रम की दसवीं तारीख को पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन एवं उनके साथियों की शहादत इस माह में हुई थी। इस बार कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर मोहर्रम के जलसे, जिक्र ए सौदा कर्बला की महफिले, लंगर और सबील सब घर पर ही होंगे। दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी ने दरगाह के सज्जादानशीन का मुकद्दस माह मोहर्रम पर बयान की जानकारी देते हुए बताया कि मुफ्ती हसन रजा कादरी अहसन मियां ने कहा है कि मोहर्रम कोई त्यौहार नहीं है यह सब्र और इबादत का महीना है। लिहाजा घरों पर जिक्रे शहीदे कर्बला, महफिल ए मिलाद, कुरान ख्वानी व नियाज नज़्र आदि शासन की गाइडलाइन के मुताबिक करें। मुफ्ती अहसन मियां ने आगे कहा कि हजरत इमाम हुसैन व उनके 72 जानिसार साथियों की शहादत को खिराज पेश करने के लिए गरीबों को जरूरतमंदों को खाना खिलाएं। घरों में जिक्रे शोहदा ए कर्बला की महफिल सजाये। कुरान ख्वानी व फातिहा ख्वानी करें। दुरुदो सलाम पेश करें। दुआओं का विद्र करें। गैर शरई काम से परहेज करें। कोरोना वायरस की दुआ मांगे। 9वीं 10वीं और 11वीं मोहर्रम को रोजा रखें। बेहतर यह है कि महामारी के वक्त में जलसे और महफिलों पर खर्च होने वाली रकम से गरीबों और जरूरतमंद मरीजों का इलाज करवा दें। यही कर्बला के शहीदों की सच्ची खिराज ए अकीदत होगी।।

बरेली से कपिल यादव

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