मुकद्दस रमजान: मस्जिद, खानकाहों से बेटियों को तालीम देने पर जोर

बरेली। रहमत व बरकत महीना रमजान का दूसरा रोजा पूरे हो गया है। रमजान में छोटे बच्चे रोजा रखकर खासे उत्साहित हैं। कई बच्चों ने पहली बार रोजा रखा है। रमजान के महीने में इबादत का सिलसिला बढ़ गया है। मस्जिदों से लेकर खानकाहों में नमाज से लेकर इफ्तार, सहरी में काफी लोग पहुंच रहे हैं। उलेमा ने बच्चों को तालीम पर जोर दिया है। खासतौर पर बेटियों की शिक्षा देने पर जोर दिया जा रहा है। मुफ्ती साजिद हसनी कादरी का कहना है कि रमजान मे रोजा रखने वाले व्यक्ति अपनी बुरी आदतों से दूर रहने के साथ-साथ खुद पर भी संयम रखता है। रमजान में रोजा रखे व्यक्ति को झूठ बोलने, पीठ पीछे किसी की बुराई करने व लालच करने से रोजा टूट जाता है। बेटियां भी तालीम से जुड़े। अंजुमन खुद्दाम ए रसूल कमेटी के सचिव शान अहमद रजा सुब्हानी ने कहा कि रमजान ज्यादा नेकियों को कमाने का महीना है। इबादत करें, रातो में सड़कों पर घूमकर वक्त को बर्बाद न करें। रहमतों को बरकतों को हासिल करने के लिये नमाज पढ़ें। दरगाह आला हजरत से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि रोजा रखने के लिए बच्चों में खासा उत्साह है। बच्चे मासूम होते हैं इसलिए इनकी तालीम पर जोर देना जरूरी है। बेटियों की तालीम भविष्य को सुनहरा बनाती है।।

बरेली से कपिल यादव

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