मादक पदार्थ विरोधी जंग जारी- पुलिस महानिरीक्षक विकास कुमार

राजस्थान/बाड़मेर- एक ही टकसाल से सांचे में ढल कर निकलते खोटे सिक्के जैसे तस्कर आपको जोधपुर सम्भाग में सबसे ज्यादा मिलेगें इसमें कोई शक नहीं है इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी देते हुए राज्य में नवगठित मादक पदार्थ विरोधी कार्यदल के महानिरीक्षक विकास कुमार ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी का जीवनवृत भी अन्य तस्करों की तरह ही अपनी पटकथा स्वयं लिखता गया जो आठवीं कक्षा तक पढ़ाई करके आरोपी ने बड़ा आदमी बनने के खोखले सपने के साथ ही पढाई छोड़ दी‌। चिंतित पिता ने आजीविका के लिए आरोपी को बंगलुरु भेज दिया जहाँ वह पिता के मित्र की मोबाइल की दूकान पर दो साल तक काम करता रहा और कम कमाई के चक्कर में वो बड़ा आदमी बनने के सपने की पूर्ति ना होते देख जीतेन्द्र वहां से बैरंग वापस हो लिया और धोरीमन्ना की गलियों में आकर आवारागर्दी करने लगा यहीं जीतेन्द्र पर निगाह पड़ी कुख्यात तस्कर प्रकाश की और प्रकाश ने पहले तो उसे अपना ड्राइवर और फिर अपने साझेदार बनाकर स्मैक आपूर्ति का बड़ा धंधा शुरू कर दिया।
.
विकास कुमार ने बताया कि एक बार अपराध की काली दुनिया में काले धंधे में मन रमा तो जीतेन्द्र कुलांचे भरने लगा और तीन साल की अल्प अवधि में ही पूरे इलाके में स्मैक का किंगपिन बन बैठा। गुरु प्रकाश बहुत पीछे छूट गया और जेल की हवा खाता रह गया जबकि जीतेन्द्र सफलताओं की सीढ़ियां चढ़ता गया और देखते ही देखते कई आलीशान कोठियों और खेत खलिहानों का मालिक बन बैठा. तस्करों के पूरे मंडली में उसका नाम सूत्रधार के रूप में लिया जाने लगा।

महीने में कम लगभग बीस किलोग्राम स्मैक की आपूर्ति करता था जीतेन्द्र. प्रति किलो दो से तीन लाख की कमाई करके बिना किसी धंधे के पचास लाख कमाता रहा आरोपी जीतेन्द्र काली कमाई के आगे राज कपूर की तीसरी कसम हर बार टूटती रही तीन साल के लघु आपराधिक जीवन काल में ही जीतेंद्र पर आठ प्रकरण विभिन्न जिलों में दर्ज हो गए‌। प्रकरण तो दर्ज होते ही जीतेन्द्र तीन बार जेल की सलाखों के पीछे की हवा भी खा आया. हर बार जेल से निकलता तो पिता और पत्नी नशे के धंधे से दूर रहने की कसमे खिलाते. जीतेन्द्र वादा भी करता पर नशे की काली कमाई के प्रभाव के आगे हर बार वो वादे कोरे वादे साबित होते रहे और हर बार और ज्यादा जोशो खरोश के साथ जीतेन्द्र उसी धंधे में कूद पड़ता।

विकास कुमार ने बताया कि सारी दुनिया को स्मैक के जाल में फंसाकर काली कमाई करता जीतेन्द्र खुद भी स्मैक के प्रभाव से दूर नहीं रह पाया और स्वयं भी इसका बुरी तरह आदी हो गया. ऐसी लत लगी कि बिस्तर पकड़ लिया। घर वालों में नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कर लम्बे समय तक इलाज़ कराया . इलाज़ कि चक्कर में काली कमाई से बनाये सारे घर-खेत-खलिहान बिक गए और एक बार फिर जीतेन्द्र कंगाली के उसी शुरुवाती दौर में पहुंच गया और स्वस्थ होते ही एक बार फिर से समृद्धि के सोपान चढ़ने की फिराक में जीतेन्द्र उसी धंधे में कूद पड़ा और समाज को जहर परोसने का धंधा बदस्तूर शुरू हो गया साथ ही इस बार पुलिस भी सतर्क थी. धंधा बढ़ते ही कई सारे प्रकरण दर्ज हो गए और जीतेन्द्र पच्चीस हजार रुपये का इनामी होकर खानाबदोशों की तरह भागता रहा‌।

विकास कुमार ने बताया कि शातिर दिमाग जीतेन्द्र खुद पर इनाम घोषित होते तथा बाड़मेर पुलिस और मादक पदार्थ विरोधी कार्यदल के बढ़ते दबाव को लेकर बेहद सतर्क हो गया था और सारे मोबाइल नंबर बंद कर भूमिगत हो गया था. भूमिगत होने का फायदा उठाकर वह अपनी पत्नी और घर से दूर रहने लगा और अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड्स से पींगे बढ़ाने लगा था . पत्नी जब भी साथ न होने की शिकायत करती तो पुलिस के दर के कारण घर न आने का बहाना करके महिला मित्रों के साथ मजे करता रहता था .
पत्नी तक सारी बातें पहुँचती रहती थी ओर आखिरकार पत्नी ने भी दिमाग लगाया और आरोपी जीतेन्द्र को पुलिस से बचने के लिए फिर से पुराने ठिकाने बंगलुरु जाकर इत्मीनान से छुपने और कमाई करने की सलाह दी. उद्देश्य यह था कि आम के आम गुठली के दाम की तर्ज पर बंगलुरु में पति सुरक्षित भी रहेगा और महिला मित्रों से भी पिंड छूट जाएगा . जीतेंद्र को भी पुलिस से बचे रहने के लिए ये तरीका सुरक्षित लगा और बंगलुरु सेटल होने की तैयारियां शुरू हो गयीं। ऐसे ही किसी सहेली ने जब पत्नी को जीतेन्द्र की हरकतों से अवगत करना चाहा तो बातों ही बातों में पत्नी ने बंगलुरु शिफ्ट होकर पिंड छूट जाने की बात उगल दी।

कुमार ने कहा कि सूत्रों के माध्यम से यह बात मादक पदार्थ विरोधी कार्यदल तक भी पहुँच गयी, लगातार प्रयासों के बावजूद जीतेन्द्र के गले तक हाथ नहीं पहुंचे तो टीम ने बंगलुरु जाने के सभी माध्यमों – बस, ट्रैन और जहाज के टिकटों की बुकिंग पर निगरानी शुरू कर दी. आईडिया यह था की पत्नी का पीछा करके जीतेन्द्र तक पहुंचा जा सकेगा हमारी टीम की मेहनत रंग लायी जब किसी ट्रेवल एजेंसी के पास एक व्यक्ति बंगलुरु का टिकट लेने पंहुचा और पहले छद्म नाम से टिकट बुक कराने कोई कोशिश की. ताकीद करने पर उसने यात्री का सही नाम जीतेन्द्र कुमार लिखवाया और स्वयं को उसका दोस्त बताकर टिकट बुक कराया. वह व्यक्ति जीतेन्द्र की पत्नी के निकतय संपर्क में पाया गया ‌। इतनी आसूचना काफी थी,यह पक्का हो गया कि दिनांक तेरह नवंबर को बंगलुरु जाने वाली बस में स्वयं आरोपी ही यात्रा करने वाला है पर वह किस स्टॉप से बस में चढ़ेगा यह सुनिश्चित नहीं था‌।

कार्रवाई पक्की करने के लिहाज़ से पुलिस महानिरीक्षक विकास कुमार के द्वारा बनायीं गयी योजना के अनुसार टीम ने रामजी के गोल के आगे अपनी नाकेबंदी लगाई और बाड़मेर से शाम सात बजे रवाना हुई निजी ट्रेवल्स की बस को रुकवाकर उसमे सोये आरोपी की पहचान कर उसे नीचे उतार लिया और भौचक्के रह गए आरोपी जीतेन्द्र के पास भाग सकने का कोई रास्ता शेष नहीं था और वह बड़ी आसानी से मादक पदार्थ विरोधी कार्यदल के बिछाये हुए जाल में सीधे ही फंस गया।

विकास कुमार ने अपनी कार्यकुशलता का लौहा मनवाते हुए सैकड़ों अपराधीयों की गिरफ्तारी पर रखा मिशन रूपी
ऑपरेशन का नामकरण : ऑपरेशन का कूट और छद्म नाम जिस्मन्ना रखा गया जो तीन अलग अलग शदों को मिलाकर बनाया गया था जैसे आरोपी के नाम जीतेन्द्र से जि लिया गया, आरोपी के पूरे इलाके में स्मैक आपूर्ति का कैंपिन होने करना स्मैक से स्म लिया गया और आरोपी धोरीमन्ना निवासी होने के कारण धोरीमन्ना से न्ना लिया जाकर ऑपरेशन का नाम जिस्मंन्ना रखा गया ।

– राजस्थान से राजूचारण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *