बरेली। बेसिक शिक्षा विभाग मे एक और घपले की जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इस साल बच्चों की किताबों स्कूल तक पहुंचाने के लिए अलग से शुल्क वसूला गया था जबकि शासन की ओर से ढुलाई के लिए बजट भेजा गया था। बावजूद इसके विभाग में शिक्षकों से ढुलाई का शुल्क वसूला गया। मामला मीडिया में आया तो शिक्षा विभाग ने जांच कहने की बात कही लेकिन मामला कुछ ही दिन चर्चा में रहा और विभागीय अफसरों ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। विभाग में जांच में ठंडे बस्ते में डाले जाने का यह कोई नया मामला नहीं है। इससे पहले भी कई बार ऐसा किया जा चुका है। घोटाले को लेकर जांच के लिए कमेटी का गठन भी किया गया लेकिन आज तक कई मामलों में जांच पूरी ही नहीं हुई। ऐसे में बेसिक शिक्षा विभाग में कई सवाल उठ रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग में पहले भी इस घोटाले को लेकर शिकायत हो चुकी है। विभाग के अधिकारी ने जांच कमेटी का गठन भी किया लेकिन जांच ज्यादा दिन नहीं चल पाई। सूत्र यह भी बताते हैं कि मामले में सेटिंग का खेल होने के कारण जांच को बीच में ही रोक कर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है।
केस वन पहले भी हो चुका है खेल
बता दें इससे पहले भी बेसिक शिक्षा विभाग में जांच के नाम पर विभागीय अधिकारी खेल कर चुके हैं। कुछ माह पूर्व शिक्षकों के रिकॉर्ड गायब हो गए थे। मामले को जब मीडिया में उठाया गया तो विभाग ने जांच शुरू कर दी लेकिन ज्यादा दिनों तक जांच नहीं चली और विभाग ने इसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया।
केस 2 चूहों ने कुतरी थी फाइल नहीं हुई जांच
अभी कुछ दिनों पहले बेसिक शिक्षा विभाग में चूहों ने रिकॉर्ड खराब कर दिए जबकि यह शिक्षकों के गोपनीय रिकॉर्ड थे। जैसे ही लोगों को इसके बारे में जानकारी दी गई तो शिक्षकों ने भी हंगामा शुरू कर दिया। मामला उठने पर बीएसए ने जांच कमेटी बनाकर दोषियों पर कार्रवाई की बात कही थी लेकिन मामला विभाग का होने के कारण जांच नहीं कराई गई।।
बरेली से कपिल यादव