बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग ने सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के सहयोग से आयोजित की मीडिया कार्यशाला

*कुपोषण दूर होने तक नियमित रूप से चले पोषण अभियान: एसडीएम
*पोषण पर जागरूकता के लिए स्टीकर के जरिए घर घर संदेश पहुंचाएंगे – डीपीओ

आगरा – उप जिला मजिस्ट्रेट (सदर) लक्ष्मी एन. ने कहा ‘पोषण माह सिर्फ एक माह के लिए ही नहीं चले बल्कि यह नियमित रूप से तब तक चलना चाहिए जब तक कुपोषण की समस्या दूर नहीं हो जाती।
लक्ष्मी एन ने यह बात गुरुवार को शहर के एक होटल में पोषण माह के अंतर्गत बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से स्वास्थ्य एवं पोषण विषय पर आयोजित ‘स्वास्थ्य संचार सुदृढ़ीकरण मीडिया कार्यशाला’ में कही।

उन्होंने कहा ‘हमारा लक्ष्य हर कुपोषित पर केंद्रित रहे। जो कुपोषित बच्चे पोषण पुनर्वास केन्द्र ( एनआरसी )में भर्ती हों, उनका सुपरविजन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लगातार करें। कुपोषण से मुक्त होने के बाद दूसरे कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उन्हें भी मुक्त कराएं। ‘ यह प्रकिया सतत् जारी रहे। कुपोषित बच्चों के परिवार में नियमित विजिट जरूरी है। उन्होंने कहा ‘हमें यह भी देखना है कि अफ्रीका एवं अन्य देशों में यूनिसेफ व अन्य संस्थाएं किस तरह कुपोषण को दूर कर रही हैं। ‘ कुपोषण दूर करने के अभियान में स्वयं सहायता समूहों से भी सहयोग लें।
जिला कार्यक्रम अधिकारी साहब यादव ने कहा शासन की ओर से पोषण का जन आंदोलन चलाया जा रहा है। आगरा जनपद में इस समय लगभग 50 हजार गर्भवती महिलाएं हैं। हर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का इन सभी के घर पहुंचने का लक्ष्य है। जागरूकता के लिए स्टीकर तैयार कर हर गर्भवती के घर पर उसे चस्पा करना है। स्टीकर पर लिखा होगा कि वह वर्तमान में क्या-क्या सावधानी बरतें। किशोरी और नवजात शिशुओं के परिवारों में भी अलग-अलग स्लोगन वाले स्टीकर चिपका कर उन्हें सावधानी व खानपान के प्रति हर समय जागरूक कराने का लक्ष्य है।
यूनिसेफ की डीआरपी और पोषण विशेषज्ञ ममता पाल ने प्रजेंटेशन के माध्यम से पोषण के संबध में जानकारी दी। उन्होंने कुपोषण के प्रकार और उसकी पहचान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पोषण पुनर्वास केंद्र पर कार्यरत डाइटिशियन ललितेश ने जानकारी दी गर्भ धारण से दो वर्ष तक की आयु के 1000 दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं इनमें बच्चे के पोषण पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। पोषण पुनर्वास केंद्र शिशु के अलावा कुपोषित महिलाओं, बच्चों एवं किशोरियों को कुपोषण से बाहर निकलने के लिए के लिए खानपान की उचित सलाह देता है।
एनआई संस्था की ओर से विद्या ने कहा कुपोषण को मिटाने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे। उन्होंने महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करने के लिए आयरन गोली के सेवन की उपयोगिता पर विस्तृत जानकारी दी। एनीमिया मुक्त भारत बनाने के लिए आयरन की गोली का सेवन महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है। खासकर महिलाओं को अपने गर्भावस्था में आयरन की 180 गोली का सेवन अवश्य करना चाहिए। बच्चों के लिए आयरन का सिरप उपलब्ध है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरके अग्निहोत्री ने हीमोग्लोबिन की कमी दूर करने एवं पेट के कीड़े निकालने की दवा का सेवन कराने पर विशेष जोर दिया। कार्यक्रम में भीम नगर की आशा कार्यकर्ता अनीता ने मीडिया के सामने अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का संचालन सीडीपीओ राय साहब यादव ने किया।

– योगेश पाठक आगरा

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