बार कोड से होता है खेल, छिप जाती शराब की पहचान

बरेली। नकली या मिलावटी शराब का धंधा कोई नया नहीं है। वर्षों से शराब माफिया इस अवैध धंधे को आसानी से अंजाम देकर माला माल हो रहे हैं। लोगों की जान से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। सबसे बड़ा खेल बोतलों में चिपकाए जाने वाले बार कोड से किया जाता है। माफिया फर्जी बार कोड लगाकर नकली शराब की खपत करते है। बार कोड को देखकर लोग यही समझते हैं कि शराब असली है। लेकिन असल में यह बार कोड फर्जी होता है। इससे शराब की पहचान छिप जाती है। लोग चाहें तो एप के माध्यम से बार कोड को स्कैन करके शराब की वैधता का पता लगा सकते है। देसी, अंग्रेजी शराब और बीयर की बोतल या केन पर एक सफेद रंग का बार कोड लगा होता है। इसका मकसद शराब की सही कीमत या पहचान कराना है। लेकिन लोग कभी इस पर ध्यान नही देते हैं। इसी का शराब माफिया फायदा उठाते है। सूत्रों के मुताबिक इस्तेमाल की गई शराब की बोतलों से बार कोड निकाल लिए जाते हैं या फिर प्रिंट करके फर्जी बनाया जाता है। फिर इन्हें मिलावटी या नकली शराब की बोतलों पर चिपका देते हैं। ग्राहक बार कोड देखकर इसे सही समझता है। लेकिन इसी की आड़ में नकली शराब की ताबड़तोड़ बिक्री होती है। अधिकतर लोगों को ये पता ही नहीं होता कि इसे अपने स्मार्टफोन से स्कैन करके चेक भी कर सकते हैं। इसके लिए मोबाइल में गूगल प्ले स्टोर से कोई भी व्यक्ति यूपी आबकारी विभाग का बार कोड स्कैनर (यूपी एक्साइज बार कोड स्कैनर) डाउनलोड कर सकता है। इससे किसी भी दुकान से ली गई अंग्रेजी, देशी शराब या बीयर पर लगे कंप्यूटराइज्ड बार कोड का स्कैन किया जा सकता है। स्कैन करते ही संबंधित शराब के बनने से लेकर ठेके तक पहुंचने की पूरी जानकारी सामने आ जाती है। इसमें शराब बनाने वाली डिस्टलरी, होलसेल गोदाम और रिटेल की दुकान के नाम के अलावा गुणवत्ता और अल्कोहल की मात्रा, पैकिंग और सही कीमत टैक्स सहित दिखने लगती है। इससे किसी दूसरी दुकान की शराब कहीं और भी नहीं बेची जा सकती। ये बात किसी से छिपी नहीं है कि देशी शराब गांव की गलियों से लेकर परचून की दुकान पर मिलती है। ऐसे में इस तरह के स्रोतों से ली गई शराब में कई बार कोड नहीं होता। लेकिन ग्रामीण इसे अनदेखा कर देते हैं। अगर बार कोड नही है तो शराब संदिग्ध मानी जा सकती है। देशी ही नहीं अंग्रेजी शराब पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता। ब्रांडेड शराब की बोतलों में डबल लॉक होने की वजह से उसके मिलावटी होने की संभावना कम होती है। मगर ऐसा नहीं है। ब्रांडेड शराब व बीयर में भी मिलावट का खेल होता है। जिसे पकडऩा आम लोगों के बस की बात नहीं है। मगर जानकार इसे पकड़ सकते हैं। शराब की बोतल पर बैच नंबर लिखा होता है। अगर वह मैच नंबर सम्बंधित दुकान को पहुंचे माल के बैच नंबर से मैच नहीं होता है तो समझ जाइए कि कहीं से खाली बोतल जुटाकर उसमें मिलावटी शराब भरी गई है।।

बरेली से कपिल यादव

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