बरेली। बारिश और बाढ़ से किसान बर्बाद हो गए है। धान की फसल बर्बाद हो गई है। ऐसे में फसल के लिए साधन सहकारी समितियों से लिया गया। ऋण तय समय पर चुकाना मुश्किल हो जाएगा। किसानों को मूलधन पर ब्याज भी ज्यादा देना होगा। साधन सहकारी समितियों के माध्यम से इस बार जिले में 29,724 किसानों 138 करोड़ रुपये का ऋण बांटा गया है। किसानों को इसे अक्टूबर तक वापस भी करना है। धान की फसल के लिए लिया ऋण अक्टूबर तक भुगतान करने पर तीन फीसदी ब्याज ही लगेगा लेकिन तय समय पर लोन चुकता नहीं करने पर ब्याज बढ़कर 10.72 फीसदी हो जाएगा। जनपद मे बहेड़ी, नवाबगंज, फरीदपुर, मीरगंज तहसील के कई गांवों में धान की पौध खराब हो गई। कुछ खेतों में धान लग गए थे लेकिन वह भी पानी में डूबकर खराब हो गए। खेतों में पानी भरा है। इसकी वजह से दूसरी फसल भी नहीं हो पाएगी और करीब चार महीने तक खेत खाली ही पड़े रहेंगे। बहेड़ी में सौढ़ा, इटउआ, रुहेली साधन सहकारी समितियों में 40 गांव आते हैं। इन गांवों में किच्छा और पीलाधार नदी का पानी खेतों में भरा है। समिति के सचिव प्रवीन मिश्र ने बताया कि धान की पौध पूरी तरह गल चुकी है। जिन खेतों में धान लगाया गया था, वह फसल भी पूरी तरह नष्ट हो गई है। इस सीजन में किसानों को करीब एक करोड़ का ऋण बांटा गया है। जब फसल नहीं है तो ऋण चुकता करने में किसानों को दिक्कत होगी। शेरगढ़ में गुलड़िया कलां समिति के सचिव ओपी पाठक ने बताया कि बाढ़ और बारिश के पानी ने धान की फसल को नष्ट कर दिया है। पौध डूब चुकी है और अब धान नहीं लग पाएगा। फसल का नुकसान हुआ है, हालांकि उनके क्षेत्र में 20 फीसदी ही धान की फसल खराब हुई है। उन्होंने 83 लाख रुपये का ऋण बांटा था। फरीदपुर में गोपालपुर, शाहपुर बनियान सहित कई क्षेत्रों में भी धान की फसल बर्बाद हुई है। यहां भी तमाम किसानों को समितियों के माध्यम से ऋण बांटा गया है। मीरगंज में बहरौली, सुजनपुर, सिंधौली, परौरा, कुतुबपुर, मसीहाबाद आदि कई गांवों में खेत पानी में डूबे हैं और काफी पौध खराब हो गई है। अब खेतों में धान नहीं लग पाएंगे। बहरौली के सुरेश गंगवार ने बताया कि अब धान नहीं लग पाएंगे। तिलमास साधन सहकारी समिति के सचिव देवेन्द्र गंगवार ने बताया कि उन्होंने 40 लाख रुपये का ऋण किसानों को दिया है। इसके साथ गुलड़िया और रहबरा गांव में भी लगभग 70-70 लाख रुपये का ऋण बांटा है। बताया कि निचले इलाके में खेतों में पानी भरने से फसल नष्ट हो गई है। कृषि विज्ञानी वीपी सिंह ने बताया कि धान की पौध पानी में डूबकर नष्ट हो चुकी है। यदि 7-8 दिनों में खेतों से पानी उतर भी जाता है तो पौध कैसे तैयार हो पाएगी। इसकी वजह से फसल रोपने का समय नहीं रह जाएगा। जिला सहकारी बैंक के सभापति वीरू गंगवार ने कहा कि बारिश और बाढ़ से हजारों बीघा खेत जलमग्न हैं। कई क्षेत्र में धान की पौध खराब हो गई है तो कुछ जगह धान की लगाई हुई फसल भी डूब गई है। समितियों ने जिले में 138 करोड़ का ऋण बांटा है। बाढ़ और जलभराव से प्रभावित क्षेत्रों में ऋण की वसूली प्रभावित होगी। बाढ़ से फसल को नुकसान में ब्याज माफ करने का फैसला स्थानीय नहीं शासन स्तर का है।।
बरेली से कपिल यादव