बाड़मेर सरकारी अस्पताल के डाक्टर हुए लामबंद, मरीजों के रैफर प्रथा हो बन्द

राजस्थान/बाड़मेर- सरहदी बाड़मेर जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल भी मरीजों की तरह जीवन और मृत्यु के बीच में तड़प रहा है बस आप इतना किजिए देर सवेर या फिर सुबह सवेरे आकस्मिक अस्पताल परिसर में समयानुसार जाकर साफ़ सफाई व्यवस्था, पचास डिग्री सेल्सियस तापमान में खराब कूलर पखे और रही सही कसर आपातकालीन प्रबंधन तो सिर्फ बदबू मार रहा है ,महिलाओं को इस दौरान नाक पर ओढनी बाध कर सरहदों पर युद्ध करने जैसा लगता है। वही पर ना तो साफ़ सफाई मिलेगी और फिनायल तो आकस्मिक निरीक्षण करने के दौरान जरूर नाक में खुश्बू जरूर देता होगा बशर्ते अधिकारी का कितना दबदबा है। पानी तो ठण्डा बाहरी दुकानों पर जरुर मिलता है कभी कभार मरीजों के साथ आने वाले आपातकालीन सुविधाओं में मिनरल वाटर का उपयोग करते हैं। और रहीं सही कसर तो अस्पताल में इलाज करवाने आने वाले मरीजों को रैफर करने वाले रजिस्टर को देखकर अन्दाज लगा सकते हैं कि कैसे इलाज होता होगा बाड़मेर मुख्यालय पर सबसे बडे़ सरकारी अस्पताल में मरीजों का…..

अस्पताल में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा द्वारा सैकड़ों डाक्टर और हजारों का स्टाफ नियुक्ति होने के बावजूद भी पिछले दो दशकों में करोड़ों रुपये खर्च करते हुए राज्य सरकार द्वारा मशीनों को उपलब्ध कराया गया है शायद सभी खराब होगी इसलिए दस मरीजों में से सात आठ के पास में निजी लेबोरेट्री द्वारा जारी जाचं रिपोर्ट उनके हाथों में होती है शायद हमारे अपने लोगों की मानिटरिंग में कहीं कमी रह गई है वैसे अस्पताल अधीक्षक डाक्टर बी एल मन्सुरिया अच्छे है कम से कम फोन जरूर उठाया करते हैं और अव्यवस्थाओं पर समाधान करने का विश्वास दिलाते हुए काम भी करवाते हैं लेकिन इसका स्थाई समाधान करने की सख्त जरूरत है ताकि मरीजों को भी महसूस होगा कि कलयुग के भगवान् आजकल अपने वास्तविक रूप से मौजूद है। अगर लाखों मरीजों की दुआएँ चाहिए तो जिला प्रशासन के अधिकारियों सहित कलेक्टर टीना डाबी आकस्मिक निरीक्षण समय समय पर करतीं रहे।

अस्पताल में इलाज करवाने आए मरीजों को जाचं रिपोर्ट करवाने के लिए एक डेढ़ महीने तक का समय लगना कोई बड़ी बात नहीं है, कारण मशीन है तो डाक्टर नहीं और डाक्टर मौजूद है तो फिर लाखों करोड़ों रुपये की सरकारी मशीन खराब होगी या फिर ना भी हो इसका मुद्दा आजकल सोशलमीडिया पर बहुत गर्माया हुआ है और वो भी गर्मी के मौसम में, जिला मुख्यालय पर सरकारी अस्पताल के सर्जन चिकित्सक भरत मालू को निलंबन किए जाने पर राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन बाड़मेर के चिकित्सकों ने सचिव शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार को पत्र लिखकर विरोध जाहिर किया है।मुख्यालय पर सबसे बड़ा राजकीय चिकित्सालय के सभी डॉक्टर्स ने काली पट्टी बांधकर अपना रोष जताया।

ज्ञापन में बताया कि डा भरत मालू के निलंबन से समस्त चिकित्सक समुदाय में गहरा आक्रोश और असंतोष व्याप्त है। साथ ही लिखा कि निलंबन में उन्हें न तो सफाई देने का अवसर दिया और न ही तथ्या अन्वेषण किया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन है। इस प्रकार की एक तरफ कार्यवाही से न केवल व्यक्तिगत सम्मान को ठेस पहुंची है, बल्कि संपूर्ण चिकित्सा समुदाय में भय एवं असुरक्षा का वातावरण उत्पन्न होता है। अतः संपूर्ण चिकित्सकों ने यह निर्णय लिया कि इस अन्याय पूर्ण कार्यवाही के विरोध में आवश्यक कदम उठाए जाएं। साथ ही डा भरत मालू का निलंबन आदेश को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाए। वही स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच समिति गठित कर पूरे प्रकरण की गहन जांच कराई जाए।कल सुबह सरकारी अस्पताल में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर दो घंटे की कलमबंद यानी पेन डाउन हड़ताल की जाएगी।

ज्ञापन के अनुसार इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा विभाग डा अग्नेश सिंह, डा पंकज अग्रवाल, डा कैलाश खत्री, डा जगदीश कुमावत, डा कमला वर्मा, डा जगराम मीना, डा खेताराम सोनी, डा राजीव जैन, डा भीमराज सिंघवी, डा गिरीश बानिया, डा गोपाल चौधरी, डा हनुमानराम चौधरी, डा महिपाल चौधरी, डा कपिल जैन, डा रमेश चौधरी, डा सवाईसिंह राठौड़, डा सुरेन्द्र सिंह चौधरी, डा जसराज बोहरा, डा रमेश कटारिया, डा वीरेंद्र सिंगारिया, डा सुभाष, डा दीपिका हटिला सहित राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर के कई चिकित्सक समुदाय ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया।

– राजस्थान से राजूचारण

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