बाघ की तलाश में लगी टीम: पिंजरे और बीस कैमरे लगाए

बरेली। बंद पडी फतेहगंज पश्चिमी की रबड फैक्ट्री अब जंगल में तब्दील हो चुकी है। वहां बाघ ने ठिकाना बना लिया। पैरों के निशान मिलने बाद उस बाघ को रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग के 50 सदस्‍यो की टीम, कानपुर प्राणी उद्यान व पीलीभीत टाइगर रिजर्व की टीम पहुंच चुकी है। वुधवार की सुबह दस बजे से ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। कैमरों के जरिये टीम बाघ की आयु, स्वभाव का अध्ययन करेगी। बिजनौर, पीलीभीत से मंगवाए गए सात पिंजरे लगाए गए हैं। पिंजरा में जिंदा जानवर बांधा गया है। उनके आसपास मांस के टुकडे डाले गए हैं। पूरी टीम फैक्ट्री के जर्जर पडी एक इमारत में ठिकाना बनाकर बाघ के बारे में जानकारी जुटाएगी। टीम में शामिल कानपुर प्राणी उद्यान के चिकित्सक डॉ आरके सिंह ने बताया कि बाघ का स्‍वाभाव, गतिविधियां जानने के लिए ट्रेंक्युलाइज किया जाएगा। तब तक उस पर लगातार नजर बनी रहेगी। मुख्य वन संरक्षक ललित वर्मा ने बताया कि डीएफओ भरत लाल के नेतृत्व में कुल चार टीमें गठित की गई हैं। जोकि बाघ, तेंदुआ पर निगरानी करेंगी। चिकित्सक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि बाघ को ट्रेंक्युलाइज करने के लिए पर्याप्त समय के साथ सही जगह चाहिए। उन्होंने बताया कि मादा बाघ घायल लग रही है।
पिछली बार दो माह में बाघ हुआ था ट्रेंक्युलाइज
रबर फैक्ट्री परिसर में पहली बार बाघ नहीं देखा गया है। इससे पहले 28 फरवरी 2018 को भी यहां बाघ देखा गया था। इसे ट्रेंक्युलाइज करने के लिए दिल्ली, लखनऊ और टाइगर रिजर्व के विशेषज्ञ आए थे। बाद में वल्र्ड वाइल्ड लाइफ और पीलीभीत रिजर्व की टीमों ने मिलकर तीन मई 2018 को इसे पकड़ा था। पकड़ा गया बाघ सात फीट लंबा था। इसे पकडने में 40 अधिकारी और कर्मचारी लगे थे।।

– बरेली से कपिल यादव

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